हरियाणा एडीजीपी वाई पूरण कुमार आत्महत्या मामला : 8 दिन बाद भी पोस्टमार्टम नहीं, जांच पर उठे सवाल

चंडीगढ़ : हरियाणा के आईपीएस अधिकारी एडीजीपी वाई पूरण कुमार की आत्महत्या को आज आठ दिन हो गए हैं, लेकिन अब तक उनका पोस्टमार्टम नहीं हो सका है। सरकार की ओर से परिवार को मनाने की तमाम कोशिशें विफल रही हैं। मृतक अधिकारी की पत्नी, आईएएस अमनीत पी. कुमार, और परिवार के अन्य सदस्य अब भी पोस्टमार्टम की अनुमति देने को तैयार नहीं हैं।

इस देरी ने जांच पर सवाल खड़े कर दिए हैं, क्योंकि मेडिको-लीगल मामलों (एमएलसी) में समय पर पोस्टमार्टम न होने से साक्ष्य नष्ट होने का खतरा बढ़ जाता है। नियमों के अनुसार, ऐसे मामलों में पुलिस को परिजनों की अनुमति के बिना भी पोस्टमार्टम कराने का अधिकार है।

सेवानिवृत्त डीएसपी जगबीर सिंह के अनुसार, “पुलिस परिवार को सहमत करने का प्रयास कर सकती है, लेकिन अगर साक्ष्य नष्ट होने की स्थिति बनती है तो सीआरपीसी की धारा 174 और 175 के तहत पुलिस मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में पोस्टमार्टम करवा सकती है।”

गौरतलब है कि इस मामले में कई वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने की धाराओं में एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। इसलिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 194 के अनुसार, यह स्पष्ट करने के लिए पोस्टमार्टम आवश्यक है कि मौत वास्तव में आत्महत्या थी या किसी अन्य कारण से हुई।

बता दें कि 7 अक्टूबर को एडीजीपी वाई पूरण कुमार ने चंडीगढ़ सेक्टर-11 स्थित अपने घर में खुद को गोली मार ली थी। घटनास्थल से सात पन्नों का सुसाइड नोट मिला था, जिसमें उन्होंने हरियाणा डीजीपी शत्रुजीत कपूर, रोहतक एसएसपी नरेंद्र बिजारणिया सहित 13 पुलिस अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए थे।

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