Maharajganj : शिक्षक कालोनी की टूटी सड़कें, बजबजाती नालियां, जिम्मेदार बने मूकदर्शक

भास्कर ब्यूरो

  • हजारो की आबादी के बीच फैला गंदा का पानी, बिमारी फैलने की आंशका
  • शिकायतों पर पांच साल से नहीं हुई कोई सुनवाई

Nichlaul, Maharajganj : निचलौल ब्लॉक के अंतर्गत ठूठीबारी कस्बे की शिक्षक कालोनी आज बदहाली का जीता-जागता उदाहरण बन चुकी है। नाम शिक्षक कालोनी है, पर हालात ऐसे कि यहां रहने वाले शिक्षक खुद अपने बच्चों को साफ-सुथरे माहौल में बड़ा करने का सपना तक नहीं देख पा रहे। टूटी सड़कों, ओवरफ्लो नालियों और चारों तरफ फैली गंदगी के बीच डेढ़ हजार की आबादी नरकीय जीवन जीने को मजबूर है।कभी शिक्षित समाज का प्रतीक कही जाने वाली यह कालोनी आज प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार बन चुकी है। गलियों में जगह-जगह नालियां टूटी पड़ी हैं, जिनका गंदा और बदबूदार पानी सड़कों पर बहता रहता है। बारिश हो या धूप, सड़कें हमेशा कीचड़ और सड़ांध से भरी रहती हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इन सड़कों पर चलना किसी जोखिम से कम नहीं — आए दिन बाइक सवार फिसल कर गिर जाते हैं, बच्चे और बुजुर्ग घायल हो जाते हैं।

शिक्षक कालोनी के निवासियों ने बताया कि बीते पांच वर्षों से लगातार अधिकारियों से शिकायतें की जा रही हैं, पर हर बार सिर्फ आश्वासन मिलता है, काम नहीं। लोगों ने बताया कि कई बार निचलौल ब्लॉक और नगर पंचायत स्तर पर लिखित शिकायतें भी दी गईं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
हम शिक्षक हैं, अपने बच्चों को स्वच्छता और जिम्मेदारी का पाठ पढ़ाते हैं, मगर हमारी कालोनी की हालत ऐसी है कि खुद हमें ही शर्म महसूस होती है,एक निवासी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया। सड़कें जगह-जगह से टूटी हैं, जिन पर गड्ढे इस कदर हैं कि बरसात में पूरा मार्ग तालाब में तब्दील हो जाता है। मच्छर और बदबू से लोगों का जीना मुहाल है। बच्चे बीमार पड़ रहे हैं, फिर भी संबंधित विभाग आंख मूंदे बैठा है।गौरतलब है कि ठूठीबारी निचलौल ब्लॉक का सबसे बड़ा ग्रामसभा है।

जहां से प्रतिदिन सैकड़ों लोग स्कूल और सरकारी कार्यालयों तक पहुंचने के लिए इसी मार्ग का उपयोग करते हैं। फिर भी न कोई जनप्रतिनिधि ध्यान दे रहा, न प्रशासन हरकत में आ रहा है। नागरिकों का कहना है कि अगर जल्द ही नाली और सड़क की मरम्मत नहीं की गई, तो वे सामूहिक रूप से आंदोलन करने को मजबूर होंगे। सवाल यह है कि जब शिक्षक कालोनी जो समाज का बौद्धिक केंद्र मानी जाती है। इस हालत में है, तो आम बस्तियों की दुर्दशा का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। वक्त आ गया है कि जिम्मेदार विभाग और जनप्रतिनिधि नींद से जागें, वरना यह कालोनी शिक्षक कालोनी नहीं, उपेक्षा कालोनी के नाम से जानी जाएगी।


खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें