
Rupaidiha, Bahraich : राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, पुणे में प्रशिक्षणरत एयरफोर्स कैडेट अंतरिक्ष कुमार सिंह 18 की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद रविवार को उनका पार्थिव शरीर पैतृक गांव रुपईडीहा, थाना क्षेत्र अंतर्गत नरैनापुर सुमेरपुर पहुंचा। पूरा इलाका शोक में डूब गया। तिरंगे में लिपटी अर्थी देखकर परिजन रो-रोकर बुरा हाल हो गए। हर आंख नम थी और हर जुबां पर बस एक ही सवाल था अंतरिक्ष, तुम इतनी जल्दी क्यों चले गए?
सुबह करीब 9:30 बजे एंबुलेंस से पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, और वातावरण शोकाकुल हो उठा। मां सीमा सिंह बेटे के शव से लिपटकर बिलख उठीं, वहीं पिता रवि प्रताप सिंह, जो वर्तमान में असम में सेना में सूबेदार के पद पर तैनात हैं, बेटे की देह देखकर स्तब्ध रह गए।
गांव में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। फैजाबाद से आई डोगरा रेजिमेंट की टुकड़ी ने गार्ड ऑफ ऑनर देकर अंतिम सलामी दी। तीन गूंजती गोलियों और मौनधारण के उस क्षण ने हर दिल को झकझोर दिया। ग्रामीणों, सेना के अधिकारियों, प्रशासनिक अफसरों और जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में शहीद कैडेट को नम आंखों से विदाई दी गई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, अंतरिक्ष सिंह की मौत शुक्रवार सुबह एनडीए, पुणे में हुई थी। साथी कैडेटों ने बताया कि उनका कमरा अंदर से बंद था। काफी देर तक कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर अधिकारियों को सूचना दी गई। दरवाजा तोड़ने पर उन्हें मृत अवस्था में पाया गया। फिलहाल एनडीए प्रशासन द्वारा जांच की जा रही है। परिवार ने मौत पर सवाल उठाए हैं। अंतरिक्ष के भाई ने आरोप लगाया कि उनकी मौत रैगिंग की वजह से हुई। परिजन निष्पक्ष जांच और न्याय की मांग कर रहे हैं।
अंतरिक्ष कुमार सिंह मई 2025 में एयरफोर्स में चयनित हुए थे। उनकी ऑल इंडिया रैंक 154 थी। जुलाई 2025 से वे प्रथम वर्ष का प्रशिक्षण ले रहे थे। बचपन से ही मेधावी रहे अंतरिक्ष ने आर्मी पब्लिक स्कूल, लखनऊ से शिक्षा प्राप्त की थी। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट दोनों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। पढ़ाई के साथ-साथ उन्हें साहित्य में भी रुचि थी, और उनकी लिखी तीन किताबें आज भी ऑनलाइन उपलब्ध हैं।
अंतरिक्ष की अंतिम यात्रा में ग्रामीणों ने फूल बरसाकर अपने वीर सपूत को विदाई दी। 18 वर्ष की आयु में देशभक्ति की मिसाल बन चुके कैडेट अंतरिक्ष कुमार सिंह का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया, लेकिन उनकी स्मृतियाँ, जज़्बा और सपने हमेशा इस मिट्टी की प्रेरणा बने रहेंगे।