Jhansi : स्मार्ट खेती का दौर, वैज्ञानिक तरीकों से बढ़ेगी आमदनी, घटेगा खर्च

Jhansi : रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी के उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय के बागान, मसाले, औषधीय एवं सगंध पादप विभाग के वैज्ञानिक डॉ. उमेश पंकज और डॉ. विनोद कुमार ने किसानों को धनिया की खेती के संबंध में महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं।

विशेषज्ञों ने बताया कि मध्य अक्टूबर से मध्य नवम्बर तक धनिया की बुवाई के लिए उपयुक्त समय है। धनिया एक ऐसी फसल है जो कम लागत में अधिक लाभ प्रदान करती है। इसका उपयोग मसाले, औषधि तथा हरी पत्तेदार सब्जी के रूप में किया जाता है, जिससे इसकी मांग पूरे वर्ष बनी रहती है।

उन्होंने बताया कि बुंदेलखंड की जलवायु धनिया की खेती के लिए अत्यंत अनुकूल है। इस क्षेत्र के लिए किसान भाई आरसीआर-41, अजमेर धनिया-1, अजमेर धनिया-2 तथा पंत हरितमा जैसी प्रमुख किस्मों का चयन करें।

बीज दर: बीज उत्पादन के लिए 10-15 किग्रा/हेक्टेयर, जबकि हरी पत्ती उत्पादन के लिए 20-25 किग्रा/हेक्टेयर बीज उपयुक्त रहता है। बुवाई से पहले बीजों को हल्के दबाव से दो भागों में तोड़कर ट्राइकोडर्मा या कार्बेन्डाजिम से उपचारित करना चाहिए।

बुवाई तकनीक: कतार से कतार की दूरी 30 सेमी और गहराई 2-3 सेमी उचित रहती है। खेत की तैयारी के समय गोबर की खाद के साथ नाइट्रोजन 40, फास्फोरस 25 और पोटाश 20 किग्रा/हेक्टेयर देना चाहिए। नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई के समय और शेष पहली सिंचाई के साथ दें।

यदि मिट्टी में नमी की कमी हो तो किसान भाई पलेवा करने के बाद बुवाई करें, जिससे अच्छा अंकुरण प्राप्त होता है। अंकुरण के बाद हल्की सिंचाई करें और ठंड के मौसम में हर 20-25 दिन पर सिंचाई करते रहें। ध्यान रखें कि खेत में पानी का जमाव न हो, अन्यथा जड़ सड़न की समस्या हो सकती है।

विशेषज्ञों ने बताया कि उचित प्रबंधन और समय पर सिंचाई से किसान भाई धनिया की दो बार हरी पत्तियों की कटाई कर 80-85 क्विंटल/हेक्टेयर हरी पत्ती तथा 12-15 क्विंटल/हेक्टेयर दाने की उपज लेकर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।

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