
Sultanpur : पावन विजेथुआ महावीरन धाम में पहुंचे जगतगुरु श्री रामभद्राचार्य ने अपने वक्तव्यों से न सिर्फ सामाजिक चिंतन को दिशा दी, बल्कि समसामयिक मुद्दों पर भी बेबाक राय रखी। उनके विचारों में संतुलन, अनुभव और राष्ट्रहित की झलक साफ नजर आई।
राजनीतिक सवाल पर मौन, लेकिन संगठन की सराहना
जब राहुल गांधी के विदेशी दौरे से जुड़ा सवाल पूछा गया, तो उन्होंने चुप्पी साध ली। यह संकेत था कि हर विषय पर बोलना जरूरी नहीं, खासकर जब बात राजनीतिक विवादों की हो। दूसरी ओर, जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष मनाने की बात आई, तो उन्होंने खुले दिल से सराहना की। यह दिखाता है कि वे राष्ट्र निर्माण में लगे संगठनों की भूमिका को महत्व देते हैं।
हाल ही में भारत के मुख्य न्यायाधीश पर एक अधिवक्ता द्वारा जूता फेंकने की कोशिश हुई। इस पर जगतगुरु ने दो टूक कहा कि यह घटना गलत है, लेकिन मुख्य न्यायाधीश की कुछ बातें भी मर्यादा से परे थीं। उनका कहना था, आज तक बहुत चीफ जस्टिस देखे, पर ऐसा किसी ने नहीं किया। यह वक्तव्य न्यायपालिका से अपेक्षित गरिमा की याद दिलाता है मर्यादा दोनों ओर होनी चाहिए।
जगतगुरु रामभद्राचार्य ने वर्षों से चली आ रही आरक्षण नीति पर भी अपने विचार स्पष्ट किए। उन्होंने कहा, जाति के आधार पर आरक्षण नहीं होना चाहिए, बल्कि आरक्षण केवल आरक्षित आधार पर होना चाहिए।
इसका सीधा अर्थ यह है कि आरक्षण का लाभ केवल उन लोगों को मिलना चाहिए, जिन्हें वास्तव में आवश्यकता है आर्थिक, शैक्षणिक या सामाजिक पिछड़ेपन के कारण। जातीय आधार पर आरक्षण से समाज में भेदभाव और असंतुलन बढ़ता है।