Maharajganj : जंगली जानवरों का आतंक, सड़क हादसों में जा रही जान

  • जंगल के किनारे तारबाड़ न होने से हो रही हैं सड़क दुर्घटनाएँ
  • कुछ वर्ष पहले जंगल के किनारे लगाई गई तारबाड़ कुछ ही दिनों में ध्वस्त हो गई

Maharajganj : बृजमनगंज से फरेंदा मार्ग पर चलने वाले छोटे-बड़े वाहन चालकों, यात्रियों और राहगीरों को हमेशा इस बात का डर बना रहता है कि कब कोई नीलगाय या अन्य जंगली जानवर जंगल से निकलकर सड़क पर आ जाए और कोई हादसा हो जाए। जंगली जानवरों से टकराकर अब तक कई लोगों की जान जा चुकी है। जंगल के सटे और बीच से गुजरने वाली सड़क होने के कारण आए दिन जंगली जानवरों, छुट्टा पशुओं, बंदरों, नीलगायों सहित अन्य जंगली जानवरों से टकराकर लोग हादसों का शिकार हो रहे हैं। जंगल के किनारे तारबाड़ न होने से जंगली जानवरों को बिना रोकटोक सड़क पर आने की पूरी छूट मिली हुई है, जिसके कारण वहां से गुजरने वाले छोटे-बड़े वाहन अनियंत्रित होकर आए दिन दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं।

जानकारी के अनुसार, मुख्य मार्ग पर नीलगाय और अन्य जंगली जानवरों से टकराकर अब तक कई लोग मौत का शिकार हो चुके हैं, जबकि कई लोगों के हाथ-पैर फ्रैक्चर हो चुके हैं। इसके बावजूद वन विभाग कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। बताया जाता है कि हाडिकोट से फरेंदा हल्दीदाड़ी तक करीब 10 किलोमीटर सड़क जंगल के सटे है, और जंगल के बीच करीब दो से तीन किलोमीटर सड़क होने के कारण यहाँ दुर्घटनाएँ होने की संभावनाएँ हमेशा बनी रहती हैं और आए दिन हादसे भी हो रहे हैं।

वहीं, बंदरों का आतंक भी कम नहीं है। सैकड़ों बंदर सड़क के बीच और किनारों पर उत्पात मचाते रहते हैं। साइकिल से गुजरने वाले लोगों को बचने के लिए समूह बनाकर चलना पड़ता है। यदि किसी के पास झोला, बोरा या कैरीबैग हो, तो बंदर उस पर झपट पड़ते हैं और दौड़ाने लगते हैं। कई बार झोला या बोरा छीनकर भाग जाते हैं, और कई लोगों को काटकर घायल भी कर चुके हैं। भागने के दौरान कई लोग चोटिल भी हो जाते हैं। जंगली जानवरों से टकराकर कई ऑटो भी पलट चुके हैं। राहगीरों और यात्रियों की सुरक्षा भगवान भरोसे है।

जंगल के किनारे तारबाड़ या बैरिकेडिंग लग जाने से दो फायदे होंगे: पहला, जंगली जानवर बाहर नहीं निकल पाएँगे, जिससे हादसों में कमी आएगी; दूसरा, जंगल के किनारे किसानों की फसलें भी सुरक्षित हो जाएँगी।

वन रेंजर सुशील कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि प्रोजेक्ट बनाकर शासन को भेजा गया है। स्वीकृति मिलने के बाद कार्य शुरू हो जाएगा।


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