एडीजीपी वाई पूरण कुमार आत्महत्या मामला : डीजीपी शत्रुजीत कपूर समेत 10 अधिकारियों पर केस दर्ज

चंडीगढ़ : हरियाणा के 2001 बैच के एडीजीपी रैंक के आईपीएस अधिकारी वाई पूरण कुमार की आत्महत्या मामले ने नया मोड़ ले लिया है। चंडीगढ़ पुलिस ने गुरुवार रात डीजीपी शत्रुजीत कपूर समेत 10 से अधिक वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। सेक्टर-11 थाने में दर्ज इस एफआईआर में धारा 108 आरडब्ल्यू 3(5) बीएनएस और 3(1)(आर) पीओए (एससी/एसटी) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।

वाई पूरण कुमार ने अपने सुसाइड नोट में डीजीपी शत्रुजीत कपूर, रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारणिया सहित कई शीर्ष पुलिस अधिकारियों पर उत्पीड़न, जातिगत भेदभाव और सार्वजनिक अपमान के गंभीर आरोप लगाए थे।

पत्नी आईएएस अमनीत पी. कुमार की शिकायत पर कार्रवाई

मृतक की पत्नी आईएएस अमनीत पी. कुमार ने बुधवार को डीजीपी कपूर और एसपी बिजारणिया के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने की शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने सुसाइड नोट के आधार पर मामला दर्ज करते हुए जांच शुरू कर दी है। जल्द ही आरोपियों को पूछताछ के लिए तलब किया जा सकता है।

सुसाइड नोट में जिन अधिकारियों के नाम शामिल

एफआईआर में जिन अधिकारियों के नाम दर्ज हैं, उनमें —
डीजीपी शत्रुजीत कपूर, एडीजीपी अमिताभ ढिल्लो, एडीजीपी संजय कुमार, आईजी पंकज नैन, आईपीएस कला रामचंद्रन, आईपीएस संदीप खिरवार, आईपीएस सिबार कविराज, पूर्व डीजीपी मनोज यादव, पूर्व डीजीपी पी.के. अग्रवाल, पूर्व मुख्य सचिव टी.वी.एस.एन. प्रसाद, और एसपी नरेंद्र बिजारणिया शामिल हैं।

अमनीत का सीएम से सामना — “यह आत्महत्या नहीं, सिस्टम ने हत्या की है”

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी गुरुवार दोपहर जापान दौरे से लौटकर सीधे अमनीत पी. कुमार के सेक्टर-24 स्थित आवास पहुंचे। अमनीत ने मुख्यमंत्री से कहा कि “जब तक आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती, तब तक पूरण कुमार का पोस्टमार्टम और अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा।”
उन्होंने मांग की कि सभी नामजद अधिकारियों को तुरंत निलंबित कर गिरफ्तार किया जाए और उनके परिवार, विशेषकर बेटियों की आजीवन सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

अनुसूचित जाति आयोग ने लिया संज्ञान

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए चंडीगढ़ के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी किया है। आयोग ने सात दिन के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट तलब की है, जिसमें सभी आरोपियों के नाम, एफआईआर विवरण, गिरफ्तारी की स्थिति और पीड़ित परिवार को दी गई सहायता का ब्यौरा मांगा गया है।

यदि तय समय में जवाब नहीं दिया गया तो आयोग ने चेतावनी दी है कि संबंधित अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से समन जारी किया जा सकता है।

यह मामला अब हरियाणा प्रशासन और पुलिस महकमे के भीतर जातिगत भेदभाव और सत्ता के दुरुपयोग को लेकर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है।

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