
देहरादून : उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा और माैसम की दुश्वारियाें के बीच केदारनाथ की यात्रा में इस वर्ष दर्शनार्थियों का नया रिकार्ड बना है। इस साल अभी तक धाम में दर्शनार्थियाें की संख्या 16 लाख 56 हजार के पार हाे गई है। पिछले वर्ष केदारनाथ में 16 लाख 52 हजार 76 श्रद्धालुओं ने दर्शन किये थे। इस वर्ष केदारनाथ के कपाट 23 अक्तूबर काे परंपरानुसार भैयादूज के पर्व पर बंद हाेने है, ऐसे में यात्रा के शेष 14 दिनाें में यात्रियाें की संख्या सत्रह लाख से अधिक पहुंचने की उम्मीद है। अक्टूबर माह के शुरू के आठ दिन में ही 59754 यात्रियों ने धाम में दर्शन किये हैं।
इस वर्ष 2 मई से केदारनाथ यात्रा शुरू हुई थी। कपाट खुलने के दिन ही धाम में 30,154 शिव भक्ताें ने दर्शन किए थे, जाे केदारनाथ यात्रा के इतिहास में नया रिकार्ड था। पहले दिन से ही देश-विदेश से पहुंचने वाले यात्रियाें का उत्साह अपने चरम पर रहा। यात्रा में पैदल मार्ग से हवाई मार्ग तक यात्रियाें की भीड़ रही। मंदिर समिति काे भक्ताें की भीड़ काे देखते हुए मंदिर 22 घंटे तक खुला रखना पड़ा, जिसमें 16 घंटे से अधिक समय तक यात्रियाें काे दर्शनाें कराए गए। जून में माैसम की दुश्वारियाें और हेलीकाॅप्टर क्रैश हाेने के बाद भी पैदल यात्रा का उत्साह बना रहा। भले ही मई की तुलना में यात्री कम पहुंचे। बरसात में गाैरीकुंड हाईवे के कई जगहाें पर बार-बार बाधित हाेने से यात्रा काे कई दिन राेकना पड़ा। हालात यह रहे कि अगस्त माह में सिर्फ 31 हजार श्रद्धालु केदारनाथ पहुंचे। मानसून की रफ्तार थमने और 15 सितंबर से यात्रा का दूसरा चरण शुरू हाेते ही यात्रियाें की संख्या में भी इजाफा हाेने लगा। वहीं, इस सप्ताह बीते तीन दिनाें से केदारनाथ में बर्फबारी के बीच बाबा केदार के भक्ताें का उत्साह जाेराें पर है। केदारनाथ में माैजूद बीकेटीसी के सदस्य डाॅ. विनीत पाेस्ती ने बताया कि खराब माैसम के बाद भी धाम में यात्रियाें की अच्छी संख्या बनी हुई है।
केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद हाेने में 14 दिन शेष हैं, ऐसे में उम्मीद है कि दर्शनार्थिथाें की संख्या साढ़े सत्रह लाख तक पहुंचने की उम्मीद है। उन्हाेंने बताया कि सभी यात्रियाें के भाेजन और रात्रि प्रवास का बेहतर इंतजाम किया जा रहा है। एसडीएम अनिल कुमार शुक्ला ने बताया कि केदारनाथ यात्रा में जुलाई-अगस्त में कुछ ही दिन खराब मौसम के कारण यात्रा बंद थी, लेकिन दर्शन करने वाले श्रद्धालु नियमित रहे।