जड़ता मिटे, कानून का भय हो तभी हिंदुत्व को मिलेगा गौरव

लाला राधेश्याम गुप्ता की स्मृति में ‘चेतना’ का 74 वां
सेमिनार

  • आप मंदिर की रक्षा करेंगे, तभी मंदिर आपकी रक्षा करेगा
  • एक देश-एक कानून, एक देश-एक शिक्षा ही समाधान
  • हिंदु अधर में रहे, असमंजस में रहे तो नुकसान के अलावा कुछ नहीं मिलने वाला
  • हिंदुओं की सदियों की तपस्या और संघर्ष का परिणाम है श्रीराम मंदिर

नई दिल्ली। देश की धार्मिक, सामाजिक स्थिति, नैतिक-सांस्कृतिक दायित्व और सनातन देश के भविष्य की चुनौतियों पर गंभीर चिंतन-मनन की दिशा में गतिशील संस्था ‘चेतना’ ने एक और कदम आगे बढ़ाते हुए आज 74 वां सेमिनार आयोजित किया। वरिष्ठ समाजसेवी लाला राधेश्याम गुप्ता की स्मृति में आयोजित इस सेमिनार का विषय रहा ‘राम मंदिर से परम वैभव की यात्रा’। सेमिनार में कई गंभीर सवाल उठाए गए।

श्रीराम मंदिर बनने के साथ क्या सनातन मार्ग की सारी चिंता-चुनौतियां-बाधाएं खत्म हो गईं? क्या हिंदू परम वैभव पाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं? मंदिरों की रक्षा, हिंदू धर्म के विस्तार के लिए क्या कोई संस्था है? क्या कोई व्यवस्था है? क्या बिना भय के कानून, धर्म, व्यवस्था, प्रशासन चल सकते हैं? क्या धर्म रक्षा एवं विस्तार की महज औपचारिकता निभा रहे हैं हिंदू?

चेतना के अध्यक्ष एवं अंतर्राष्ट्रीय कवि राजेश चेतन ने बताया कि सेमिनार का शुभारंभ डॉ कौशल कांत मिश्रा (मीडिया पैनलिस्ट, भाजपा) के संबोधन से हुआ। उन्होंने ‘मंदिर रक्षति रक्षित:’ शब्दों से संबोधन किया जिसका अर्थ है आप मंदिर की रक्षा करें तभी मंदिर आपकी रक्षा करेगा। धर्म का प्रतीक है मंदिर, ठीक उसी तरह जैसे भगवान का प्रतीक उनकी मूर्ति होती है। धर्म विश्व की सबसे बड़ी सामाजिक यूनिट है। यह सबसे प्राचीन, सबसे व्यापक और सबसे सशक्त इकाई है। धर्म एक ही है जिसे सनातन कहते हैं लेकिन आज रिलीजन, मजहब को भी धर्म कहा जा रहा है। डॉ कौशल कांत मिश्रा ने वर्तमान स्थिति को गंभीर बताते हुए दुनिया के पांच बड़े धर्मों के इतिहास पर विस्तार से प्रकाश डाला, हिंदू धर्म पर मंडरा रहे खतरों, चुनौतियों पर आंकड़ों के साथ प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि विश्व में तीन सबसे बड़े धर्म हैं। पहले स्थान पर ईसाई, दूसरे पर मुस्लिम और तीसरे पर हिंदू। 2050 तक मुस्लिमों की संख्या इसाइयों से ज्यादा हो जाएगी। भाजपा मीडिया पैनलिस्ट ने बताया कि दुनिया में 27 इस्लामी देश व 23 ईसाई देश हैं लेकिन हिंदू राष्ट्र एक भी नहीं। इस्लाम व ईसाई धर्म आगे बढ़ रहे हैं क्योंकि इनकी एपेक्स बॉडी है, इको सिस्टम है, इकोनॉमी भी है। हिंदुओं के पास ऐसा कुछ नहीं, हां आस्था प्रचुर मात्रा में है। हिंदुत्व को वैभव-विस्तार दिलाने के लिए न कोई संस्था है, न ही व्यवस्था। आंकड़े चिंताजनक हैं।

भारत में 80 प्रतिशत हिंदू आबादी है और पांच लाख मंदिर हैं। वहीं 17 करोड़ मुस्लिम आबादी है पर सात लाख मस्जिद हैं। 2.7 करोड़ इसाइयों के लिए 75 हजार से ज्यादा चर्च बने हैं। दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि भारत में केवल पांच हजार गुरुकुल हैं, जबकि मदरसे चार लाख हैं। सन् 1800 में भारत में सात लाख गुरुकुल थे। उन्होंने अनेक विसंगतियों का उल्लेख करते हुए बताया कि चर्च, मदरसे, मस्जिद पर कोई टैक्स नहीं लेकिन मंदिरों से 28 प्रतिशत कर वसूला जाता है।

डॉ कौशल कांत मिश्रा ने कहा कि मंदिर को फिर से सोशल सेंटर बनाने की जरूरत है। पहले मंदिर में स्कूल, आरोग्य केंद्र, वेधशाला, सामाजिक सशक्तिकरण सेंटर आदि भी होते थे लेकिन अब ये केवल रिचुअल सेंटर बन कर रह गए हैं। उन्होंने 1861 से लेकर आगे तक के सेंसस के आंकड़े देकर बताया कि अंग्रेजों ने किस तरह हिंदुओं का विभाजन किया।

उन्होंने सुझाव दिया कि देश भर के मंदिरों को जोड़ा जाए और एक विशेष बॉडी बना कर इनके संचालन की व्यवस्था देखी जाए। उन्होंने देश के चार प्रमुख मंदिरों की अकूत संपत्ति के आंकड़े भी पेश किए।
मुखय अतिथि उत्तर पश्चिम दिल्ली के सांसद योगेंद्र चांदोलिया ने कहा कि श्रीराम मंदिर हिंदुओं की सदियों की तपस्या और संघर्ष का परिणाम है। यह हिंदुओं के संकल्प का प्रमाण है। पूर्ववर्ती सरकारें तुष्टिकरण नीति के चलते हिंदुओं की भावनाओं से खिलवाड़ करती रहीं। सांसद ने कहा मंदिर के लिए सीने पर गोलियां खाने वाले हिंदुओं की कुर्बानी करोड़ों भारतवासी हमेशा याद रखेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत परम वैभव प्राप्त करने की दिशा में तेजी से अग्रसर है।

मुख्य वक्ता के रूप में गौतम खट्टर (संस्थापक, सनातन महासंघ) ने भी अनेक ज्वलंत मसलों पर गंभीर सवाल खड़े किए जिनका समाधान हर हाल में होना ही चाहिए। उन्होंने पूछा, गुरुकुल की मजबूती आखिर कब की जाएगी? मुस्लिमों, मदरसों, मस्जिदों का तेजी से विस्तार हो रहा है। एशिया का सबसे बड़ा मदरसा उत्तर प्रदेश में है, एशिया की सबसे बड़ी चर्चा नगालैंड में है। इन सबके बीच सनातन धर्म को कैसे बचाएंगे? कैसे परम वैभव का लक्ष्य प्राप्त करेंगे, इस पर गंभीर व सार्थक प्रयासों की जरूरत है। उन्होंने एक सार्थक पहल के तहत हरिद्वार में दस हजार की क्षमता वाला गुरुकुल बनाए जाने की भी जानकारी दी

हिंदुओं की सोच स्पष्ट हो, लक्ष्य एकदम साफ हो, अधर में या असमंजस में रहे तो नुकसान के अलावा कुछ नहीं मिलने वाला। मजारों, दरगाहों में मुसलमानों से कई गुणा ज्यादा हिंदू ही जाते हैं, चढ़ावा चढ़ाते हैं।

अपने अस्तित्व व गौरव की रक्षा आपको स्वयं करनी होगी, कोई पराशक्ति या महावतार रक्षा करने नहीं आएगा। गौतम खट्टर ने कहा कि महाभारत में भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कहा था कि मैं तुम्हारा मित्र, सखा, सारथी हूं लेकिन अपने हिस्से की लड़ाई आपको स्वयं लड़नी होगी। इस अवसर पर गौतम खट्टर द्वारा लिखित पुस्तक का सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने किया।

अपने संबोधन में सुप्रीम कोर्ट के विख्यात अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने परम वैभव को विकसित भारत, विश्व गुरु और राम राज्य से जोड़ा। उन्होंने कहा भारत में राम मंदिर तो है पर राम नीति नहीं है। ‘भय बिनु होय न प्रीत’ को अश्विनी उपाध्याय ने हिंदुओं के समक्ष खड़ी चुनौतियों का समाधान बताया। भारत में अपराधियों को कानून का खौफ नहीं, इसलिए अपराध बढ़ते हैं। दिल्ली में दंगे होते हैं लेकिन दुबई में नहीं, बरेली में डलवा होता है, बहरीन में नहीं, शोलापुर में दंगे भड़कते हैं, सिंगापुर में नहीं, जम्मू में हिंसा होती है, कुवैत में क्यों नहीं, कश्मीर आतंकवाद, हिंसा से सुलगता है, कुवैत नहीं, अमरोहा में दंगे की चिंगारी फूटती है, अमेरिका में क्यों नहीं? कारण स्पष्ट है कि भारत में राम मंदिर के साथ राम नीति लागू करनी होगी, भय के बिना प्रीत कदिपि संभव नहीं। शिक्षा में संस्कार और कानून के खौफ से ही परम वैभव की प्राप्ति होगी।

अश्विनी उपाध्याय ने सुझाव दिया कि एक राष्ट्रीय आयोग बना कर कार्य आरंभ कीजिए, गुलामी की तमाम कुरीतियां खत्म होती जाएंगी। एक देश एक कानून और एक देश एक शिक्षा नीति से ही आसन्न संकट व चुनौतियों का समाधान होगा। उनका कहना था कि व्यापारियों कि शोषण बंद होना चाहिए। उन्होंने बड़े नोट बंद करने का भी सुझाव दिया। भ्रष्ट लोगों को कठोर सजा के साथ उनकी नागरिकता भी रद कर दी जानी चाहिए। हमें गुलामी की निशानियों, भ्रष्टाचार से आजादी चाहिए।

लगभग पांच घंटे चले सेमिनार में टीआरवी के चेयरमैन त्रिलोकी नाथ गोयल एवं महेंद्र बंसल (बंसल भवन, रोहिणी) विशिष्ट अतिथि थे। लाला राधेश्याम गुप्ता की धर्मपत्नी मीना गुप्ता की भी विशेष उपस्थिति रही। गुप्ता शूज प्रा. लि.(विष्णु गुप्ता व अरुण गुप्ता) ने सेमिनार के प्रायोजन का दायित्व संभाला।

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