
New Delhi : बाजार में दवा आने से पहले सभी के लिए एक मानक होना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। सरकार में बैठे लोग, मंत्रियों व अफसरों की पसंद और नापसंद के आधार पर दवाएं बेचने की अनुमति दी जा रही हैं। यही वजह है मप्र और राजस्थान जैसी घटनाएं हो रही हैं। सवाल है कि जो कोल्ड्रिफ किसी देश में प्रतिबंधित है तो वो अपने देश में कैसे बेची जा रही है। क्या यह नागरिकों के जीवन से खिलवाड़ नहीं है?
यह सवाल हमेशा बना रहेगा कि जिस कंपनी ने दक्षिण अफ्रीका में भी दूषित दवाइयां बेचीं, उसे मप्र में कैसे अनुमति मिल गई? एक समाचार वेबसाइट पर आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ दिलीप भानुशाली ने कंपनी की पिछली करतूतों को उजागर करते हुए सरकार और ड्रग कंट्रोलर को मुख्य दोषी ठहराया है। उनका कहना है कि इस कंपनी ने पहले दक्षिण अफ्रीका में भी डीईजी डीईज से दूषित दवाइयां बेची थीं। अब उसे इन उत्पादों को दोबारा बेचने की अनुमति कैसे मिली?
आईएमए का साफ कहना है कि दवा नियंत्रक जिम्मेदार है और इस चूक के लिए सरकार जिम्मेदार है। डॉ. भानुशाली ने आरोप लगाया कि कानूनों को सख्त करने के बजाय सरकार ने लगता है कि कंपनी को क्लीन चिट दे दी है।
आईएमए ने कहा है कि प्रोटोकॉल का पालन किया गया है और वे डॉक्टर की गिरफ्तारी पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से बात करेंगे। आईएमए यह सुनिश्चित करेगी कि डॉ. प्रवीण सोनी को रिहा किया जाए। बता दें कि मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देश पर आयुक्त लोक स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा तरुण राठी ने डॉ. प्रवीण सोनी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। निलंबन का आधार निजी प्रैक्टिस के दौरान उपचार में ‘गंभीर लापरवाही’ और ‘अपने पदीय कर्तव्यों का निर्वहन पूर्ण निष्ठा से नहीं करने’ को बताया गया है।
छिंदवाड़ा के थाना परासिया में डॉ. प्रवीण सोनी और निर्माता कंपनी मेसर्स श्रीसन फार्मास्युटिकल्स के संचालकों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 105, 276 समेत औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 की धारा 27A के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
यह कार्रवाई उन बच्चों को दवाइयां पर्चे पर लिखने के कारण की गई, जिनके सेवन से बच्चों की किडनी पर विपरीत प्रभाव पड़ा और दुखद मृत्यु हो गई। उधर, कोल्ड्रिफ सिरप के नमूने शनिवार की सुबह जांच रिपोर्ट में अमान्य पाए जाने के बाद, इसे पूरे प्रदेश में प्रतिबंधित कर दिया गया है।
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