
देहरादून : राज्यभर के सरकारी शिक्षकों की पदोन्नति से जुड़े मामले पर सबकी नजरें सात अक्तूबर को होने वाली हाईकोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं।
राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री रमेश पैन्युली ने बताया कि विभाग में कई शिक्षक 35 साल की सेवा पूरी करने के बाद भी एक ही पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उनका कहना है कि शिक्षकों ने आंदोलन केवल छुट्टी के दिनों में किया, ताकि छात्रों की पढ़ाई बाधित न हो, लेकिन हाईकोर्ट में यह तर्क दिया गया कि आंदोलन से शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो रही है।
पैन्युली ने आरोप लगाया कि विभाग ने अंतरिम पदोन्नति के मामले में हाईकोर्ट को 4400 पन्नों की सूची सौंपी है। इसमें सेवानिवृत्त और मृत शिक्षकों के नाम भी शामिल हैं, जिससे मामले को और उलझाने की कोशिश की जा रही है। उनके अनुसार, विभाग को चाहिए था कि केवल उन्हीं शिक्षकों की सूची दी जाती, जिनकी पदोन्नति तत्काल होनी थी।
यह मुद्दा करीब 25,000 शिक्षकों से जुड़ा हुआ है। पदोन्नति न होने के कारण हाईस्कूलों में प्रधानाध्यापक और इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्य के अधिकांश पद खाली पड़े हैं। विभाग इस स्थिति के लिए शिक्षकों को जिम्मेदार ठहरा रहा है, जबकि शिक्षक विभाग को दोषी मान रहे हैं।