
Bihar Election 2025 : बिहार में जहां सभी राजनीतिक दल अपने-अपने मतदाताओं को साधने के प्रयास में जुटे हैं। वहीं, मुस्लिम वोटर्स बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। जिससे बिहार विधानसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं की नजर किस पार्टी के उम्मीदवार पर टिकी हैं, ये चर्चा का विषय बना हुआ है।
हाल ही के सी-वोटर्स के आंकड़े में सामने आया है कि बिहार के मुस्लिम वोटर्स में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति नाराजगी बढ़ रही है। पिछले कुछ महीनों में बिहार में हुई कई घटनाओं और सरकारी नीतियों को लेकर मुस्लिम समुदाय में असंतोष फैला है। खासतौर पर, उनके धार्मिक और सामाजिक हितों को लेकर उठने वाले मुद्दों पर सरकार का रवैया काफी हद तक उदासीन रहा है। कई मुस्लिम नेताओं और समुदाय के लोगों का मानना है कि सरकार ने उनके हितों के प्रति उपेक्षा की है, जिसके कारण उनके बीच नीतीश कुमार की छवि कमजोर हो रही है।
अब सवाल ये उठ रहा है कि अगर मुस्लिम मतदाता जदयू से नाराज हैं तो किसे चुनेंगे? बिहार में जदयू के बाद तेजस्वी यादव की राजद के अलावा प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी पर सबकी नजरे हैं। मगर, बिहार के मुस्लिम मतदाताओं की नजर में पीके बेअसर साबित हो रहे हैं। ऐसे में मुस्लिम वोटर्स की वोट राजद की झोली में गिरने की संभावना बन रही है।

ऐसे में अब ये जानते हैं कि बिहार में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या कितनी है? साल 2011 की जनगणना के अनुसार, सीमांचल बिहार में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 47 प्रतिशत है। जबकि पूरे बिहार में 17.7 प्रतिशत ही मुस्लिम मतदाता हैं। अगर सीमांचल बिहार की जनसंख्या की बात करें तो मुस्लिम मतदाताओं की वोटों से चुनाव में जीत और हार का समीकरण बिगड़ और बन सकता है।
हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम और विकास योजनाओं का लाभ तो सभी वर्गों को हो रहा है, लेकिन मुस्लिम मतदाताओं में प्रधानमंत्री के प्रति कोई खास उत्साह या भरोसा नहीं दिख रहा है। यहां तक कि, कुछ विश्लेषक यह भी कहते हैं कि केंद्र सरकार की नीतियों का असर बिहार के मुस्लिम वोटर्स पर बहुत कम है। लेकिन कुछ समीक्षक मानते हैं कि वे अपने पारंपरिक मताधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं, जैसे कि राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), जो लंबे समय से मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन प्राप्त करता रहा है। वहीं, कुछ मुस्लिम नेता और सामाजिक संगठन भी दावा कर रहे हैं कि उनकी पार्टी या समूह इस बार अपने वोट को एक नई दिशा में ले जाने का प्रयास कर रहे हैं।
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