
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में संदिग्ध कफ सिरप से बच्चों की मौत का मामला और गंभीर हो गया है। 6 मौतों के बाद अब 3 और बच्चों की जान चली गई, जिससे मृतकों की संख्या बढ़कर 9 हो गई है। जिन दो सिरप—कोल्ड्रिफ (Coldrif) और नेक्सा डीएस (Nexa DS)—को बैन किया गया है, वे निजी प्रैक्टिस करने वाले सरकारी डॉक्टरों के पर्चों पर लिखे जा रहे थे।
डॉक्टर-मेडिकल स्टोर की साठगांठ
जांच में सामने आया कि यह सिरप चुनिंदा शिशु रोग विशेषज्ञों के पर्चे पर ही मिल रहा था। खास बात यह है कि जिन डॉक्टरों ने सिरप लिखा, उनके परिवार के लोग ही मेडिकल स्टोर चलाते थे। परासिया ब्लॉक में 7 बच्चों की मौत इन्हीं दवाओं से हुई है।
अन्य जिलों और राज्यों में भी सप्लाई का शक
सूत्रों के अनुसार, पांढुर्णा, सिवनी, बैतूल और बालाघाट में भी इन सिरप की सप्लाई हुई हो सकती है। राज्य सरकार ने उत्पादन रोकने के लिए तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश की सरकारों को पत्र लिखा है, जहां इन सिरप का निर्माण हो रहा था।
हर महीने 600 बोतलों की सप्लाई
छिंदवाड़ा के थोक व्यापारियों ने बताया कि केवल कोल्ड्रिफ की ही हर महीने करीब 600 बोतलों की सप्लाई होती थी। ड्रग विभाग ने 170 बोतलें जब्त की हैं।
डॉक्टरों की सफाई
डॉ. प्रवीण सोनी और डॉ. अमन सिद्दीकी के पर्चों पर कोल्ड्रिफ का नाम सामने आया है। डॉ. सोनी ने सफाई दी कि वे 38 साल से प्रैक्टिस कर रहे हैं और हमेशा मरीजों के लिए बेहतर दवा लिखते हैं।
जांच जारी
ड्रग इंस्पेक्टर गौरव शर्मा ने बताया कि रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को सौंप दी गई है और रिवर्स पड़ताल कर यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि सिरप किन-किन जगहों पर सप्लाई हुआ।










