
बिहार चुनाव 2025 : बिहार में चुनाव का माहौल धीरे-धीरे गरमाता जा रहा है और राजनीतिक दल आगामी विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों में जुट गए हैं। इस बार का चुनाव न केवल राज्य के विकास और विकास योजनाओं का सवाल होगा बल्कि यह भी तय करेगा कि बिहार की राजनीति में कौन-कौन से दल सत्तारूढ़ होंगे और किसके हाथ में सरकार आएगी।
बिहार में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। अभी न तो चुनाव की आधिकारिक घोषणा हुई है और न ही राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है। इस बीच, चुनाव को लेकर बहस का केंद्र वोटर लिस्ट में बदलाव, भ्रष्टाचार और सरकार की नीतियों पर है। वहीं, विभिन्न सर्वेक्षण भी सामने आए हैं, जो बिहार की आगामी सरकार को लेकर अलग-अलग अनुमान लगा रहे हैं।
जेवीसी (जन सर्वेक्षण आयोग) के नवीनतम सर्वे के मुताबिक, बिहार में एनडीए के पक्ष में मजबूत समर्थन दिख रहा है। इस सर्वे में जेडीयू को 52 से 58 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि भाजपा को 66 से 77 सीटें मिलने की संभावना है। इसके अलावा, एनडीए के अन्य सहयोगी दल मिलाकर कुल 13 से 15 सीटें जीत सकते हैं। इस आधार पर, एनडीए का कुल सीटें 131 से 150 के बीच हो सकती हैं, जिससे वह फिर से सरकार बनाने की स्थिति में नजर आ रहा है।
वहीं, विपक्षी महागठबंधन के लिए यह चुनाव जीतना भी संभव माना जा रहा है। जेवीसी के सर्वे में महागठबंधन को 81 से 103 सीटें मिलने का अनुमान है। इसमें आरजेडी को 57 से 71 सीटें, कांग्रेस को 11 से 14, और अन्य सहयोगियों को 13 से 18 सीटें मिल सकती हैं। प्रशांत किशोर की पार्टी ‘जन सुराज’ को 4 से 6 सीटें, जबकि एआईएमआईएम और बहुजन समाज पार्टी जैसी अन्य पार्टियों को भी 5 से 6 सीटें मिल सकती हैं।
विपक्षी दलों की उम्मीदें बढ़ाने वाले एक अन्य सर्वे में, लोकपोल ने महागठबंधन को बहुमत का अनुमान दिया है। इस सर्वे के अनुसार, महागठबंधन 118 से 126 सीटें जीत सकता है, जबकि एनडीए को 105 से 114 सीटें मिलने का अनुमान है। वोट प्रतिशत के लिहाज से, इस सर्वे में महागठबंधन को 39-42%, वहीं एनडीए को 38-41% वोट मिलने की संभावना जताई गई है।
प्रशांत किशोर की पार्टी ‘जन सुराज’ का प्रभाव भी इस चुनाव में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस सर्वे में कहा गया है कि बिहार का राजनीतिक परिदृश्य पारंपरिक रूप से एनडीए और महागठबंधन के बीच बंटा हुआ है। अधिकांश सर्वेक्षण दर्शाते हैं कि राज्य में वोट बैंक में बड़े बदलाव की संभावना कम है, और सरकार फिर से एनडीए की ही बन सकती है।
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