
कानपुर। उत्तर प्रदेश में गुरुवार काे विजयदशमी (दहशरा) का पर्व मनाया जा रहा है। कानपुर जिले केशिवाला में स्थापित दशानन मंदिर काे दर्शन के लिए यहां आने वाले भक्ताें के लिए खाेल दिया गया है। यह मंदिर साल में एक बार विजयादशमी के दिन ही खुलता है और लोग सुबह-सुबह यहां रावण की पूजा करते हैं।
परम्परा के अनुसार गुरुवार सुबह मंदिर के कपाट खोले गए और रावण की प्रतिमा का साज श्रृंगार किया गया। इसके बाद आरती हुई और भक्ताें के दर्शन के लिए मंदिर का कपाट खाेल दिया गया। इस मंदिर का निर्माण सौ साल पहले महाराज गुरू प्रसाद शुक्ल ने कराया था। रावण प्रकांड पंडित होने के साथ-साथ भगवान शिव का परम भक्त था। इसलिए शक्ति प्रहरी के रूप में यहां कैलाश मंदिर परिसर में रावण का मंदिर बनाया गया। दशानन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए आदिशक्ति की भी आराधना करता था। बताया जाता है कि उसकी पूजा से प्रसन्न होकर मां छिन्नमस्तिका ने उसे वरदान दिया था कि उनकी की गई पूजा तभी सफल होगी जब भक्त रावण की भी पूजा करेंगे।
मंदिर के पुजारी राम बाजपेयी ने बताया कि करीब 206 साल पहले संवत् 1868 में तत्कालीन राजा ने मां छिन्नमस्तिका का मंदिर बनवाया था और रावण की करीब पांच फुट की मूर्ति उनके प्रहरी के रूप में बनवाई थी। विजयदशमी के दिन मां छिन्नमस्तिका की पूजा के बाद रावण की आरती होती है और मंदिर सरसों के दीपक और पीले फूल चढ़ाए जाते हैं।
उन्हाेंने बताया कि जनपद के शिवाला में स्थित देश के एकलौते दशानन मंदिर में दशहरा के दिन सुबह से भक्त रावण की पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं। यह मंदिर साल में एक बार विजयादशमी के दिन ही खुलता है और लोग सुबह-सुबह यहां रावण की पूजा करते हैं।
दशानन मंदिर में शक्ति के प्रतीक के रूप में रावण की पूजा होती है और श्रद्धालु तेल के दिए जलाकर मन्नतें मांगते हैं। रावण काफी विद्वान थे इसलिए हम उनकी पूजा अर्चना कर यह कामना करते हैं कि उनके जैसा बल, बुद्धि और विद्या दें। फिर शाम को उनके अहंकारी पुतले का दहन करते हैं।
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