
कुल्लू। आपदा के 24 दिन बाद वीरवार को ऐतिहासिक ढालपुर मैदान में देवताओं के महाकुंभ के रूप में अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव आरंभ होने जा रहा है। भगवान रघुनाथ की रथयात्रा के साथ शुरू होने वाले इस पर्व में करीब 300 से अधिक देवी-देवता भाग लेंगे। बुधवार देर शाम तक 200 से ज्यादा देवी-देवता अपने-अपने अस्थायी शिविरों में विराजमान हो चुके थे। इस बार उत्सव समिति ने 332 देवताओं को आमंत्रित किया है। भगवान रघुनाथ के सम्मान में मनाया जाने वाला यह पर्व 1660 ईस्वी से लगातार जारी है और इसे देवताओं का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है, जहां आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम दिखाई देता है।
बुधवार शाम 4:30 बजे भगवान रघुनाथ की रथयात्रा रथ मैदान से प्रारंभ होगी और ढालपुर मैदान पूरी तरह देवभूमि का रूप ले लेगा। इससे पहले दोपहर 2 बजे भगवान रघुनाथ पुलिस सुरक्षा में पालकी के माध्यम से अपने देवालय से ढालपुर के लिए प्रस्थान करेंगे। इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल भी बनेंगे और भगवान के अस्थायी शिविर में जाकर आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। आनी-निरमंड क्षेत्र से 16 देवी-देवता 150 से 200 किलोमीटर की दूरी तय कर उत्सव में शामिल होने पहुंचे हैं। वहीं माता हिडिंबा भी अपने पूरे लाव-लश्कर के साथ रामशिला व बिजली महादेव होते हुए सुल्तानपुर पहुंच चुकी हैं।
दशहरा उत्सव के अध्यक्ष एवं विधायक सुंदर सिंह ठाकुर ने बताया कि तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सुरक्षा और यातायात व्यवस्था के लिए 1,200 पुलिस जवानों की तैनाती की गई है। साथ ही सभी 14 सेक्टरों की निगरानी हेतु 136 सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन लगाए गए हैं।
हालांकि इस वर्ष आपदा के कारण उत्सव में विदेशी सांस्कृतिक दल, विभिन्न राज्यों के कलाकार और बॉलीवुड हस्तियां शामिल नहीं होंगी। उत्तर भारत स्तरीय वॉलीबॉल प्रतियोगिता भी आयोजित नहीं की जाएगी। इस बार की थीम “आपदा से उत्सव की ओर” रखी गई है, ताकि प्रभावित क्षेत्रों को संदेश मिल सके कि कठिन परिस्थितियों में भी जीवन को सकारात्मकता और उत्सव की ओर ले जाया जा सकता है।
आउटर सिराज से भी कई देवी-देवता पहुंचे हैं, जिनमें खुडीजल महाराज, शमशरी महादेव, व्यास ऋषि, कोट पझारी, जोगेश्वर महादेव, कुईकंडा नाग, टकरासी नाग, चोतरु नाग, बिशलू नाग, देवता चंभू उर्टू, देवता चंभू रंदल, देवता चंभू कशोली, शरशाई नाग, घाटू के कुईकंडा नाग, भुवनेश्वरी माता दुराह और सप्तऋषि थंथल प्रमुख हैं।