
- जमानत पर रिहाई के बाद पहला दिन सलामी के नाम गुजरा
- दोपहर की नमाज के वक्त गनर की मौजूदगी पर सवाल उठे
- अमिताभ बाजपेई को देखकर आंखों से अश्कों का दरिया बहा
- छावनी विधायक रूमी की कुर्सी को हिलाने में जुटे कुछ सपाई
भास्कर ब्यूरो
कानपुर। डिफेंस कॉलोनी की सोलंकी कोठी में बुधवार को ईद और दीवाली की साझा खुशियां चहक रही थीं। रामलाल और रहीम खान एक साथ संघर्ष को सलामी की तख्ती लेकर गुलाब की माला के साथ अपने दुलारे नेता को इस्तकबाल करने पहुंचे थे। जिंदाबाद का शोर सुनकर पूर्व विधायक इरफान सोलंकी मौजूदा विधायक अपनी बेगम के साथ बाहर आए तो हाथ मिलाने और गले लगने का सिलसिला थमा नहीं। इरफान ने अल्लाह के साथ-साथ शहर के बाशिंदों का शुक्रिया अदा करते हुए वर्ष 2027 के लिए वादा कराना चाहा कि, एक अहसान और करना है। कभी खुलकर तो कभी इशारों में दावा किया कि, पहली मर्तबा इतिहास रचेंगे कि मियां-बीवी एक साथ विधानसभा में मौजूदगी दर्ज कराएंगे। दावों की फेहरिस्त में कानपुर की सभी विधानसभा सीटों के साथ लोकसभा सीट पर जीतना तय बताया गया है। फिलहाल, राजनीति के समीकरणों के हिसाब से 10 विधानसभा सीटों के साथ लोकसभा की दोनों सीटों पर जीत की गणित नामुमकिन है, लेकिन इरफान का सियासी बड़बोलापन शहर की सियासत में नये चैप्टर के संकेत मुमकिन हैं।
तीन सीटों पर सपा काबिज, चार पर मजबूत
शहर की सियासत की किताब बताती है कि, छावनी और सीसामऊ में जातिगत समीकरणों के कारण समाजवादी पार्टी का परचम मजबूत है, जबकि आर्यनगर में अमिताभ बाजपेई का स्वभाव और छवि के आगे बड़े-बड़े धुरंधर पछाड़ खाए हैं। अतीत के पन्नों के हिसाब से बिल्हौर, अकबरपुर रनियां, कल्याणपुर और बिठूर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा से मुकाबले के लिए सपा ही काबिल है। मौजूदा परिस्थितयों में अभिजीत सिंह सांगा की मौजूदगी के कारण बिठूर में सपा की दाल गलने की उम्मीद कमजोर है, लेकिन बिल्हौर में रचना सिंह की गर्जना से सपा के तेवर जबरदस्त हैं। इसी प्रकार अकबरपुर रनियां में वारसी कुनबे के खिलाफ भाजपा में असंतोष का सपा फायदा उठाएगी। कल्याणपुर में सियासी ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है। यहां भाजपा की कद्दावर नेता प्रेमलता कटियार को सपा के सतीश निगम ने पराजय का स्वाद चखाया था।
महाना, महेश और मैथानी का तोड़ मुश्किल
इरफान सोलंकी भले ही शहर की सभी सीटों पर सपाई परचम लहराने का दावा ठोंक गए, लेकिन महाराजपुर में सतीश महाना, किदवईनगर में महेश त्रिवेदी और गोविंदनगर में सुरेंद्र मैथानी का तोड़ फिलहाल किसी पार्टी के पास मौजूद नहीं है। ऐसे में शहर की सभी सीटों पर साइकिल की रफ्तार दिखाने का दावा सियासत के धुरंधरों की नजर में सिर्फ बड़बोलापन है। अलबत्ता सपा की अंदरुनी राजनीति में उखाड़-पछाड़ जारी है। प्रत्यक्ष तौर पर खुलकर बोलने के लिए कोई तैयार नहीं है, लेकिन मियां-बीवी की एक साथ विधायक बनने की चाह को कुछ चेहरे अपने विरोधी को निबटाने के लिए इस्तेमाल करने की फिराक में हैं। पार्टी नेतृत्व से मुलाकात के दरमियान, वर्ष 2027 की चौसर में एक विधायक को कमजोर कड़ी बताने-समझाने के लिए अंदरखाने तैयारी है। पार्टी संगठन से जुड़े वरिष्ठ नेता का कहना है कि, इरफान और नसीम को पक्की जीत के लिए सीसामऊ के साथ-साथ छावनी पर भरोसा करना होगा, लेकिन छावनी में मोहम्मद हसन रूमी का टिकट कटवाना मुश्किल होगा।
रूमी की खिलाफत में संगठन के कुछ झंडाबरदार
छावनी से वर्ष 2027 में कौन मैदान में उतरेगा, यह सपा के सिकंदर अखिलेश यादव तय करेंगे, लेकिन आलाकमान की नजर में मौजूदा विधायक हसन रूमी की अहमियत कमजोर करने के लिए सपा संगठन के कुछ झंडाबरदार जुटे हैं। इसी गुट ने बीते दिनों लालबंगला-डिफेंस कॉलोनी सीएम ग्रिड योजना सड़क के शिलान्यास समारोह में भाजपाइयों की मौजूदगी के बीच रूमी के भाषण को अलग नजरिये से सोशल मीडिया पर वायरल किया था। गौरतलब है कि, नगर-निगम ही कार्यक्रम का आयोजक था, ऐसे में क्षेत्रीय विधायक होने के नाते विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना और हसन रुमी को न्योता गया था। शहर की सत्ता में भाजपा काबिज है, लिहाजा मंच पर भाजपाई परचम लहरा रहे थे। इस तस्वीर को रुमी के विरोधियों ने वफादारी पर सवालिया निशान के साथ उछाला था।
अमिताभ को देखकर आंसू छलके, रूमी से गले मिले
बहरहाल, सियासी बयानबाजी से इतर इरफान सोलंकी 36 महीने बाद आजादी के पहले दिन समर्थकों से खूब मिले। कुछ देर बाद नगर अध्यक्ष फजल महमूद आए तो उन्हें भी गले लगाकर सीसामऊ की जीत के लिए मुबारकबाद देना नहीं भूले। सोलंकी की कोठी में अमिताभ बाजपेई की दस्तक महसूस हुई तो इरफान के सब्र का बांध टूट गया। बड़े भाई के संबोधन के साथ अमिताभ के अहसानों को गिनाते हुए इरफान गले से लिपट गए। माहौल खुशी के साथ भावुक था। इसी दरमियान, मोहल्ले के पड़ोसी और विधायक हसन रूमी पर निगाह गई तो उन्हें भी गले लगाकर शुक्रिया अदा किया। इरफान ने कहाकि, मै वह वक्त कैसे भूल सकता हूं, जब पुलिस ने एक विधायक के घर मे घुसकर तांडव किया था। खाकी के कहर से पत्नी, बच्चे, मां सभी सहमे थे। 36 महीने सिर्फ मैनें सजा नहीं भुगती, बल्कि परिवार ने भी भुगती है। उन्होंने कहाकि, मेरी बेगम को विधायक बनाकर कानपुर ने अहसान किया है, अब एक और अहसान 2027 में भी करना है।