आईआईटी-कानपुर के हॉस्टल में एक और होनहार की जिंदगी खत्म….लाश दो दिन तक फंदे पर लटकी रही, लेकिन किसी को खबर नहीं


 
– अच्छी नौकरी के इंतजार में होनहार ने मौत को गले लगाया
– कैमिकल इंजीनियरिंग में अंतिम वर्ष का छात्र था धीरज सैनी
– 28 सितंबर से हॉस्टल के साथियों की निगाह से ओझल था
 
कानपुर। अच्छी नौकरी की चाहत में इंतजार बेमियादी होने लगा तो एक होनहार का सब्र टूट गया। नतीजे में उसने जिंदगी को अलविदा कहते हुए मौत का दामन थाम लिया। सीनियर छात्र धीरज सैनी ने खुद को कमरे में कैद करने के बाद फांसी का फंदा लगाकर तनाव और अपेक्षाओं से पीछा छुड़ाया, लेकिन पड़ोसी कमरों में रहने वाले सहपाठियों तथा हॉस्टल मैनेजमेंट को दो दिन तक कोई भनक नहीं लगी। बुधवार की दोपहर कमरे से दुर्गंध आने पर दरवाजा तोड़ा गया तो सामने पंखे के सहारे लाश लटकी नजर आई। नवरात्रि और दशहरा की छुट्टियों के कारण आत्महत्या की जानकारी नहीं होने का तर्क आईआईटी प्रशासन की तरफ से प्राप्त हुआ है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने के साथ छात्र के परिजनों को सूचना भेजी गई है। उम्मीद है कि बुधवार की देर रात माता-पिता कैंपस में पहुंच जाएंगे।

कैमिकल इंजीनियरिंग में अंतिम वर्ष की पढ़ाई
हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के बुचौली रोड ककरकई निवासी सतीश सैनी का 22 वर्षीय बेटा धीरज सैनी आईआईटी-कानपुर में बीटेक की कैमिकल इंजीनियरिंग ब्रांच में अंतिम वर्ष का छात्र था। सीनियर होने के कारण उसे साझेदारी के बजाय प्राइवेट रूम आवंटित हुआ था। बुधवार दोपहर करीब तीन बजे हॉस्टल के कुछ छात्र धीरज के कमरे के सामने से गुजरे तो तेज दुर्गंध महसूस हुई। अनहोनी की आशंका के साथ छात्रों ने धीरज को आवाज लगाई, लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं मिला। ऐसे में छात्रों ने तुरंत आईआईटी प्रबंधन के जरिए कल्याणपुर थाना पुलिस तक सूचना भेजी। पुलिस की मौजूदगी में धीरज के कमरे का दरवाजा तोड़ा गया तो पंखे के हुक के सहारे रस्सी के फंदे पर धीरज की लाश नजर आई। मौका-मुआयना के बाद फोरेंसिक टीम ने साक्ष्य एकत्र किये हैं, जबकि कल्याणपुर पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। कल्याणपुर इंस्पेक्टर अजय प्रकाश मिश्रा ने बताया कि धीरज को 28 सितंबर के पास से किसी ने नहीं देखा था।

छुट्टियों के कारण मौत की जानकारी नहीं हुई
हॉस्टल के अन्य छात्रों ने बताया कि, सामान्य दिनों में क्लास और कैंटीन आते-जाते एक-दूसरे से हैलो होती रहती थी, लेकिन नवरात्रि की अष्टमी-नवमी और दशहरा की छुट्टियों के कारण हॉस्टल में सन्नाटा था, जबकि अन्य छात्र अपने-अपने कमरों में पढ़ाई में तल्लीन रहते हैं। इसी कारण धीरज सैनी के नहीं दिखने पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। हॉस्टल के छात्रों ने बताया कि, अच्छी नौकरी की तलाश में धीरज सैनी प्लेसमेंट के लिए परेशान था। अक्सर ही बेवसाइट और सीनियर्स से कैमिकल इंजीनियरिंग में बेहतर पैकेज वाली नौकरी के लिए सवाल-जवाब करता था। आशंका है कि, प्लेसमेंट के तनाव में धीरज ने दुस्साहिस कदम उठाया है। अलबत्ता धीरज सैनी के कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। परिजनों ने भी फोन पर संवाद के दौरान धीरज के द्वारा कोई परेशान बताने से इंकार किया है।


कानपुर आईआईटी में 19 साल में 13 सुसाइड
कानपुर। कैंपस का तनाव अथवा अच्छी नौकरी की चिंता। आईआईटी कानपुर के इतिहास में बीते 19 साल में अब तक 13 सुसाइड के मामले सामने आए हैं। वर्ष 2025 में रिसर्च स्कॉलर अंकित यादव, सॉफ्टवेयर डेवलपर दीपक चौधरी के बाद कैमिकल इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष के छात्र धीरज सैनी की आत्महत्या का तीसरा मामला रजिस्टर्ड हुआ है। इसी प्रकार वर्ष 2024 में तीन होनहारों ने कैंपस में जिंदगी का साथ छोड़ा था। अक्टूबर 2024 में पीएचडी छात्रा प्रगति खार्या ने आत्महत्या की थी, जबकि जनवरी में एमटेक छात्र विकास मीणा ने। विकास के आत्महत्या करने के 6 दिन बाद ही 18 जनवरी 2024 को कैंपस में पीएचडी छात्रा झारखंड निवासी प्रियंका जायसवाल ने आत्महत्या का दुस्साहस किया था। प्रियंका जायसवाल की आत्महत्या से करीब एक महीने पहले आईआईटी कानपुर कैंपस में 9 दिसंबर 2023 को ओडिशा के कटक निवासी 34 वर्षीय पल्लवी चिल्का ने बतौर शोध फैकल्टी सदस्य के रूप में काम करते हुए सुसाइड किया था।
कुल मिलाकर 19 साल में 11 होनहारों के साथ प्रोफेसर तथा एक सॉफ्टवेयर डेवलपर आत्महत्या कर चुके हैं। इस साल तकनीकी संस्थान से जुड़े तीन लोगों ने तनाव में मौत का रास्ता चुना है। आत्महत्या करने वाले छात्रों में ज्यादातर ने सुसाइड के पीछे तनाव को कारण बताया है। आईआईटी कानपुर की ओर से छात्रों का तनाव दूर करने के लिए 24 घंटे काउंसलिंग का दावा किया जाता है, लेकिन साल दर साल आईआईटी कैंपस में सुसाइड के मामले सामने आने से स्पष्ट है कि, काउंसिलिंग सेल में बहुत अधिक सुधार करना होगा।

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