
बांदा। दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन के साथ ही नौ दिवसीय शारदीय महोत्सव का समापन हो गया। बुधवार को सारा दिन सड़कों पर देवी प्रतिमाओं के विसर्जन यात्रा की धूम रही। युवाओं ने महेश्वरी देवी चौक से लेकर विसर्जन स्थल तक डीजे पर जमकर डांस किया। हवा में जमकर गुलाल उड़ाया और आतिशबाजी की। महिलाएं भी पीछे नहीं रहीं। शहर की तमाम सारी प्रतिमाओं के साथ विसर्जन जुलूस में चल रही महिलाओं ने भी डीजे पर नृत्य का प्रदर्शन किया। केन किनारे प्रशासन द्वारा तैयार कराये गये तालाब में पहली बार दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। नौ दिन तक लगातार सेवा करने वाले भक्तों की विसर्जन के समय आंखें नम हो आईं। विसर्जन जुलूस के निर्धारित मार्ग पर चारों तरफ पुलिस की कड़ी सुरक्षा का इंतजाम किया गया था।
शारदीय नवरात्र महोत्सव बुंदेलखंड का सबसे बड़ा आयोजन माना जाता है। इसके लिये महीनों पहले से तैयारियां होती हैं ताकि मां की आराधना का यह पर्व सकुशल निपटे। नौ दिनों तक लगातार मां के साज और श्रृंगार के बाद दसवें दिन बुधवार को मां के विमान तैयार किये गये। इस बार जिला प्रशासन और केंद्रीय कमेटी ने टोकन के लिए बलखंडी नाका श्रीधाम में व्यवस्था कर रखी थी। सुबह से ही टोकन के लिए कतारबद्ध मां की प्रतिमाओं की शोभायात्रा दोपहर बाद शुरू हो सकी। विसर्जन जुलूस के आगे चल रही नगर पालिका परिषद की स्वच्छता झांकी आकर्षण का केंद्र रही।
इसके बाद विसर्जन जुलूस निर्धारित रूट पर निकल पड़ा। डीजे पर नाचते-गाते दुर्गा पांडालों के आयोजक विसर्जन को निकल पड़े। रास्ते भर प्रतिमाओं के आगे युवाओं ने दम से डांस किया। आयोजक अपने विमानों में गुलाल के बड़े पैकेट रखे हुए थे। रास्ते भर न केवल यह गुलाल हवा में उड़ाया गया, बल्कि एक दूसरे के चेहरों पर भी खूब गुलाल मला गया। आयोजकों ने रास्ते में चलने वाले राहगीरों को भी जमकर अबीर गुलाल लगाया। इसके अलावा रास्ते में जगह-जगह आतिशबाजी हुई। महेश्वरी देवी चौक में तो आतिशबाजी का प्रदर्शन घंटों चलता रहा। इस पूरे आयोजन में महिलाओं ने भी खूब हिम्मत और दिलेरी दिखाई। शहर में इस बार कई प्रतिमाओं की स्थापना से लेकर अन्य सहयोग में महिलाओं का विशेष योगदान रहा। दुर्गा पांडालों में जहां महिलाओं ने जमकर गरबा और डांडिया नृत्य में हिस्सा लिया, वहीं विसर्जन के मौके पर भी महिलाएं पीछे नहीं रही। विसर्जन जुलस में कुछ झांकियां ऐसी थीं जहां पुरुषों की संख्या नगण्य थी, यहां महिलाएं ही अगुवा रहीं। विमानों के आगे डीजे पर महिलाओं ने पारंपरिक नृत्य का भी प्रदर्शन किया। पर्यावरण को बचाने के प्रयासों के तहत सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर जिला प्रशासन द्वारा केन नदी किनारे तैयार कराये गये तालाब में ही आयोजकों ने दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन किया। यहां का नजारा कुछ अजीब दिखा, जहां एक ओर आयोजक घाट तक नाचते-कूदते पहुंचे वहीं नाव में विसर्जन को सवार होते ही आंखें नम कर लीं। विसर्जन जुलूस में किसी प्रकार का भी झगड़ा-फसाद न होने पाये इसके लिये चप्पे-चप्पे पर पुलिस फोर्स की भारी व्यवस्था की गई थी।