
शिमला : हिमाचल प्रदेश में भारत संचार निगम लिमिटेड अगले साल से 5G मोबाइल सेवा शुरू करने जा रहा है। इसके लिए प्रदेश में पहले से लगे स्वदेशी 4G टावरों को अपग्रेड किया जाएगा। इन टावरों का शुभारंभ हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था।
यह जानकारी बीएसएनएल हिमाचल प्रदेश दूरसंचार परिमंडल के मुख्य महाप्रबंधक चरण सिंह ने सोमवार को बीएसएनएल की रजत जयंती के अवसर पर दी। उन्होंने कहा कि यह जयंती स्वदेशी तकनीक, राष्ट्रीय सेवा और लचीलेपन का प्रतीक है।
सिंह ने बताया कि बीएसएनएल ने ई-सिम सेवा की शुरुआत भी कर दी है, जिसका औपचारिक शुभारंभ जल्द होगा। उन्होंने कहा कि ई-सिम पारंपरिक सिम की तुलना में अधिक सुरक्षित है और भविष्य की तकनीक के लिए तैयार आधार बनाएगी।
बीएसएनएल के स्वदेशी 4G टावर अब हिमाचल प्रदेश के 881 असंबद्ध गांवों को नेटवर्क से जोड़ रहे हैं, जिनमें लाहौल-स्पीति, किन्नौर, पांगी, भरमौर और तिस्सा जैसे दुर्गम क्षेत्र शामिल हैं। इससे इन क्षेत्रों में उच्च गति की मोबाइल सेवा संभव हो पाई है।
चरण सिंह ने बताया कि 2023-24 में बीएसएनएल हिमाचल ने 260 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया था, जो 2024-25 में बढ़कर 325 करोड़ रुपये हो गया – यानी 25% की वृद्धि। इसी तरह 2025-26 की पहली तिमाही में राजस्व 63 करोड़ रुपये से बढ़कर 80 करोड़ रुपये हो गया, जो 27% की तिमाही वृद्धि है।
राज्य में बीएसएनएल के 17 लाख से अधिक मोबाइल ग्राहक हैं, जिनमें से पिछले एक वर्ष में करीब 3 लाख नए ग्राहक जुड़े हैं। फाइबर-टू-द-होम सेवा के तहत अगस्त 2025 तक 80,810 कनेक्शन और सितंबर तक 9,270 नए कनेक्शन जोड़े गए हैं। फाइबर-टू-द-होम सेवा के तहत बीएसएनएल 300 एमबीपीएस तक की स्पीड के साथ किफायती वॉयस और डेटा प्लान उपलब्ध करवा रहा है।
सिंह ने बताया कि बीएसएनएल ने राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, जलविद्युत परियोजनाओं और अन्य एजेंसियों को करीब 100 सैटेलाइट फोन उपलब्ध करवाए हैं, जो आपदा की स्थिति में संचार का महत्वपूर्ण माध्यम बन रहे हैं।
उन्होंने बताया कि संशोधित भारतनेट कार्यक्रम के तहत हिमाचल प्रदेश में 2,450 करोड़ रुपये की लागत से 3,615 ग्राम पंचायतों और 15,500 गैर-जीपी गांवों को अत्याधुनिक ओएफसी रिंग आर्किटेक्चर और आईपी-एमपीएलएस तकनीक से जोड़ा जाएगा। इस परियोजना का कार्यान्वयन आईटीआई लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है, जो 2027 तक पूरा होने की उम्मीद है।