
New Delhi : भारत में तेजी से बदल रहा जॉब मार्केट भारत, जहां दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी रहती है, अब रोजगार और करियर के पुराने रास्तों में बदलाव देख रहा है। तेजी से हो रही तकनीकी प्रगति, बदलते उद्योग और कंपनियों की नई जरूरतों के बीच यह धारणा टूट रही है कि केवल डिग्री होना नौकरी पाना सुनिश्चित करती है।
परंपरागत शिक्षा और कौशल का अंतर
हालांकि यह बदलाव पारंपरिक शिक्षा की जरूरत को पूरी तरह खारिज नहीं करता, लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि सिर्फ चार साल की डिग्री वाले ग्रेजुएट्स जॉब मार्केट की मांग को पूरा करने में अक्सर पर्याप्त नहीं होते। मणिपाल एकेडमी ऑफ BFSI के एसवीपी एवं बिजनेस हेड आतश शाह के अनुसार, जॉब सिक्योरिटी के लिए कौशल आधारित और अनुभवात्मक शिक्षा बेहद जरूरी हो गई है।
भारत में बढ़ता स्किल गैप
इंडिया स्किल्स रिपोर्ट 2023 के अनुसार, भारत में 47% ग्रेजुएट्स जॉब के लिए अयोग्य पाए गए। इसका मुख्य कारण पुराने कोर्स और व्यावहारिक प्रशिक्षण की कमी है। पुराने पाठ्यक्रम उभरती तकनीकियों और बदलती नौकरी की आवश्यकताओं के साथ मेल नहीं खा रहे हैं। इसके कारण, एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की महत्वाकांक्षा और युवा वर्कफोर्स की तैयारियों में अंतर स्पष्ट हो गया है।
AI और डिजिटल दुनिया की चुनौती
एआई और चैटबॉट्स जैसे टूल्स अब सिर्फ सहायक नहीं रहे। जेनरेटिव AI (GenAI) और एजेंटिक AI सिस्टम्स ने कार्य करने के पारंपरिक तरीके बदल दिए हैं। अब कंपनियां ऐसे सिस्टम बनाने पर ध्यान दे रही हैं जो काम को स्वतंत्र रूप से और बड़े पैमाने पर कर सकें। इसका मतलब है कि एंट्री-लेवल जॉब्स में काम करने वाले प्रोफेशनल्स को लगातार नए कौशल सीखने और खुद को अपडेट करने का दबाव है।
चार साल की डिग्री का पुराना मापदंड
पिछले समय में यह माना जाता था कि चार साल की डिग्री किसी छात्र को नौकरी के लिए तैयार कर देती है। अब यह धारणा बदल गई है। पढ़ाई और नौकरी के लिए तैयार होना अब अलग-अलग दुनिया बन गए हैं। टेक्नोलॉजी तेजी से अपडेट हो रही है, इसलिए प्रासंगिक बने रहने के लिए लगातार सीखना, पुराने ज्ञान को अपडेट करना और नए कौशल सीखना जरूरी है। ऑनलाइन लर्निंग, माइक्रो-क्रेडेंशियल्स और विशिष्ट प्रशिक्षण मॉड्यूल आजीवन स्किल-बेस्ड लर्निंग का हिस्सा बन गए हैं।
AI के दौर में जॉब पाने का तरीका
टियर-2 और टियर-3 शहरों के लोग अब अपने शहर में रहकर भी उन स्किल्स को सीख सकते हैं, जिनकी मांग बड़े शहरों में है। कौशल-आधारित प्रशिक्षण में अनुभव के साथ सीखने पर जोर दिया जाता है, जिससे स्टूडेंट्स न केवल कौशल सीखते हैं बल्कि उनका प्रैक्टिकल इस्तेमाल भी कर सकते हैं। यह समान अवसर प्रदान करता है और युवा बेहतर नौकरियों के लिए प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।
सरकार और उद्योग की पहल
सरकार और निजी कंपनियां मिलकर ऐसे लर्निंग प्रोग्राम तैयार कर रही हैं, जो उद्योगों और नौकरी की मांग के अनुसार हों। स्किल इंडिया मिशन के तहत, युवाओं को सिर्फ पढ़े-लिखे बनाने के बजाय जॉब के लिए तैयार किया जा रहा है। आज की अर्थव्यवस्था में डिग्री से ज्यादा कौशल मायने रखते हैं, और यही सफलता का नया आधार है।
आज के डिजिटल और AI-संचालित दौर में सिर्फ डिग्री रखना पर्याप्त नहीं है। नौकरी पाने और करियर में आगे बढ़ने के लिए युवा निरंतर सीखते रहना और नई तकनीकी योग्यताओं में महारत हासिल करना जरूरी है। यही वह रणनीति है जो आने वाले समय में उन्हें रोजगार की दुनिया में प्रतिस्पर्धी बनाएगी।
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