Nanital : गांधी जयंती पर 108 दिनों तक खादी और हर्बल उत्पादों पर 25% डिस्काउंट

नैनीताल। महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया खादी आंदोलन सिर्फ कपड़ों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह आत्मनिर्भरता और स्वदेशी की पहचान बन गया। देशभर में 1920 के दशक से स्थापित गांधी आश्रम आज भी इस विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं, लेकिन नए दौर में उनका अंदाज़ बदल गया है।

उत्तराखंड के नैनीताल के बड़ा बाजार में स्थित गांधी आश्रम इसका जीवंत उदाहरण है। अब यहां खादी केवल सफेद कुर्ते या धोती तक सीमित नहीं रही, बल्कि फैशनेबल साड़ियां, डिजाइनर कुर्ते और स्टाइलिश परिधान भी उपलब्ध हैं। आश्रम के व्यवस्थापक मनोज कुमार बताते हैं कि नैनीताल में गांधी आश्रम की शुरुआत आजादी के बाद 1960 में हुई थी। पहले तीन शाखाएं थीं, लेकिन अब केवल एक ही शाखा सक्रिय है।

आधुनिक और विविध संग्रह

गांधी आश्रम में आने वाले ग्राहकों को अब खादी के साथ ही मुनस्यारी शॉल, थुलमा, चुटका, स्वेटर, पश्मीना, डिजाइनर सूती और रेशमी साड़ियां भी मिलती हैं। इसके अलावा गुजरात-बंगाल की पारंपरिक साड़ियां, बालुचुरी और पटोला जैसी खास साड़ियां भी उपलब्ध हैं। युवाओं को आकर्षित करने के लिए खादी में आधुनिक डिजाइन और ट्रेंडी टच जोड़ा गया है, जिससे खादी अब परंपरा के साथ-साथ फैशन का हिस्सा भी बन गई है।

गांधी जयंती पर 108 दिनों तक डिस्काउंट

गांधी जयंती के अवसर पर आश्रम में विशेष ऑफर भी दिए जा रहे हैं। मनोज कुमार बताते हैं कि इस समय सभी उत्पादों पर 25 प्रतिशत का डिस्काउंट चल रहा है, जो गांधी जयंती से शुरू होकर 108 कार्य दिवसों तक जारी रहेगा।

हर्बल उत्पादों का नया रंग

सिर्फ परिधान ही नहीं, बल्कि हर्बल उत्पाद भी गांधी आश्रम की नई पहचान बन चुके हैं। यहां प्राकृतिक साबुन, शैंपू, तेल, स्किन केयर और अन्य हर्बल उत्पादों की बड़ी रेंज उपलब्ध है। पूरी तरह ऑर्गेनिक और नेचुरल होने के कारण ये उत्पाद न केवल स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित हैं, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी हैं।

समय के साथ गांधी आश्रम ने खुद को नए रंग-रूप में ढाल लिया है। अब खादी केवल परंपरा की निशानी नहीं, बल्कि फैशन, स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता का संगम बन चुकी है। यही कारण है कि युवा पीढ़ी भी अब खादी और हर्बल उत्पादों की ओर आकर्षित हो रही है।

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