
Lakhimpur Kheri : जनपद में नियम विरुद्ध शिक्षकों के संबद्धिकरण का मुद्दा अब गरमाता जा रहा है। एक तरफ महानिदेशक शिक्षा द्वारा पिछले चार वर्षों में दस बार यह स्पष्ट आदेश दिए जा चुके हैं कि किसी भी प्रकार का अटैचमेंट या संबद्धिकरण नहीं किया जाएगा, वहीं दूसरी ओर स्थानीय स्तर पर अधिकारी “व्यावहारिकता” के नाम पर इन आदेशों को दरकिनार करते नज़र आ रहे हैं।
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उ.प्र. ने बांकेगंज ब्लॉक का उदाहरण देते हुए आरोप लगाया है कि यहां चार शिक्षक ऐसे हैं जो न केवल अपने विद्यालय का चार्ज संभाल रहे हैं, बल्कि दो से तीन अन्य विद्यालयों का भी प्रभार लिए हुए हैं। संगठन का कहना है कि यह पूरी तरह नियमविरुद्ध है और इसका खामियाजा बच्चों की पढ़ाई और शिक्षकों के मनोबल को भुगतना पड़ रहा है।
जिला अध्यक्ष संतोष कुमार मौर्य ने चेतावनी दी है कि यदि इन शिक्षकों को उनके मूल विद्यालय वापस नहीं भेजा गया तो इसकी लिखित शिकायत सीधे महानिदेशक को भेजी जाएगी और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग होगी।
मामले पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण कुमार तिवारी ने बताया कि ज्ञापन दिए जाने की जानकारी नहीं है। यदि दिया गया होगा तो संबंधित खंड शिक्षा अधिकारी को भेजकर जांच कराई जाएगी तथा आवश्यकता अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
लेकिन जब इस पर खंड शिक्षा अधिकारी बांकेगंज राकेश चौधरी से सवाल किया गया तो उन्होंने शिकायत को गलत ठहराया। चौधरी ने कहा अब वे शिक्षक ए.आर.पी. नहीं बल्कि सामान्य शिक्षक हैं। कई बार ऐसी कंडीशनल परिस्थितियां आ जाती हैं जब मुझे विद्यालय चलाने के लिए प्रभार किसी और को देना पड़ता है। यदि कोई शिक्षक चार्ज वापस मांगता है तो मैं उसे देने को भी तैयार हूं।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि नियम अपनी जगह हैं लेकिन व्यवहारिक पक्ष भी देखना पड़ता है। यदि किसी विद्यालय का एक शिक्षक निलंबित हो जाए और दूसरी महिला शिक्षक मातृत्व अवकाश पर चली जाए, तो विद्यालय बंद न हो, इसके लिए मैं अपने प्रशासनिक स्तर पर ही व्यवस्था करता हूं। विद्यालय का संचालन कराना मेरी जिम्मेदारी है।
यहीं पर अब सवाल उठ रहे हैं। एक ओर शासनादेश सख्ती से संबद्धिकरण पर रोक लगाते हैं, वहीं दूसरी ओर क्षेत्रीय अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारी नियमों के बजाय “अपनी विवशताओं” का हवाला देते हैं। संगठन का आरोप है कि इस प्रक्रिया में कई बार अधिकारियों द्वारा अपने “चहेतों” को लाभ पहुंचाने की स्थिति भी बन जाती है। यही कारण है कि शिक्षकों और अभिभावकों में संदेह गहराता जा रहा है कि आखिर नियमों के रहते मनमानी क्यों हो रही है।
अब देखना यह होगा कि जांच के बाद जिला प्रशासन शासनादेश की कसौटी पर खरा उतरता है या फिर “व्यावहारिकता” के नाम पर नियमों को लचीला बनाकर अधिकारियों की कार्यशैली को ही सही ठहराता है।
ये भी पढ़ें: Jhansi : ऑपरेशन कन्विक्शन की उल्लेखनीय सफलता 27 माह में 1401 अभियुक्तों को सजा
Sultanpur : जिहादी साजिश रचते पकड़ा गया अकमल, एटीएस ने किया गिरफ्तार