UKSSSC परीक्षा लीक : CM धामी ने नतीजे की परवाह किए बिना धरना स्थल पहुंचकर संभाला मामला

देहरादून : यूकेएसएसएससी परीक्षा लीक प्रकरण को लेकर प्रदेश में उठी हलचल अब धीरे-धीरे शांत हो गई है। इस पूरे मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनकी सरकार को कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ा। लोकतांत्रिक कसौटी पर देखें तो मुख्यमंत्री धामी ने इस चुनौती में संतुलन बनाए रखा। वही युवा, जो पहले नारेबाजी कर रहे थे और सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहे थे, अब मंच पर मुख्यमंत्री का स्वागत कर तालियां बजा रहे थे।

अब सरकार के सामने उन सभी सवालों का समाधान करना है, जो परेड ग्राउंड से उठे। कुछ सवाल इस परीक्षा से संबंधित हैं, जबकि कुछ भविष्य में होने वाली परीक्षाओं से जुड़े हैं। यह प्रकरण राज्य के युवाओं की परिपक्वता और संयम को भी दर्शाता है, जिन्होंने आंदोलन को गलत दिशा में नहीं भटकने दिया।

मुख्यमंत्री धामी, जो राज्य में भाजपा के सबसे लंबे कार्यकाल वाले मुख्यमंत्री हैं, इस आंदोलन की आंच में तपे, लेकिन सीबीआई जांच की घोषणा उसी मंच से की, जहां पहले उनकी सरकार के खिलाफ तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई थीं। धामी को न केवल युवाओं के सवालों का जवाब देना था, बल्कि अपने कार्यकाल में बनाए गए कड़े नकल विरोधी कानून की प्रतिष्ठा को भी बचाना था, जिस पर भाजपा ने चुनाव लड़े और जीत हासिल की।

जिलाधिकारी और एसएसपी को धरना स्थल पर भेजना सुरक्षा का असरदार कदम साबित हुआ
आंदोलन की युवा ऊर्जा और आक्रोश को समझने में कुछ चूक हुई थी। सरकार की कार्रवाई और फैसले, हालांकि उचित थे, युवाओं ने उसे सिरे से नकार दिया। आंदोलन में जब तनाव बढ़ा, तो सरकार ने देहरादून के जिलाधिकारी और एसएसपी को धरना स्थल पर भेजा, जो सुरक्षा और नियंत्रण के लिहाज से सही कदम रहा। युवाओं ने सरकार और प्रशासन को अपनी प्रतिक्रिया सजीव रूप में बताई।

सरकार के सलाहकार चाहते थे कि मुख्यमंत्री सीधे तौर पर आगे न आएं, लेकिन पिछले तीन दिनों में मुख्यमंत्री के बयानों में युवाओं के प्रति हमदर्दी और चिंता दिखाई देने लगी। उन्होंने पहले ही दिन निर्णय लिया था कि वे सीबीआई जांच के लिए तैयार हैं। सोमवार सुबह मुख्यमंत्री ने बिना सलाहकारों की अनुमति लिए स्वयं धरना स्थल पर जाने का निर्णय लिया। उनके इस कदम की सूचना केवल उनके साथ मौजूद एक अधिकारी को थी। अन्य स्टाफ को परेड ग्राउंड के करीब पहुंचने पर ही इसका पता चला। साथ में पहुंचे विधायक खजानदास को भी सड़क पर ही मुख्यमंत्री के निर्णय की जानकारी मिली और उन्हें उसी योजना के अनुसार गाड़ी में बैठाकर धरना स्थल तक ले जाया गया।

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