
नागौर : नागौर जिले के मेड़ता क्षेत्र में राजनीतिक और सामाजिक तनाव बढ़ गया है। दलित समाज से आने वाले भाजपा विधायक लक्ष्मण राम मेघवाल उर्फ़ कलेरू के पोस्टर पर कुछ असामाजिक तत्वों ने कालिख पोत दी। यह घटना मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के प्रस्तावित दौरे के दौरान लगे होर्डिंग पर हुई। सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों ने क्षेत्र और मेघवाल समाज में गहरा आक्रोश फैला दिया।
दरअसल, मेड़ता में मुख्यमंत्री का दौरा तीसरी बार अचानक रद्द कर दिया गया। बताया जाता है कि सीएम के आगमन से केवल एक घंटे पहले कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया था। इसके बाद हेलीपैड के सामने लगाए गए स्वागत होर्डिंग पर विधायक कलेरू की मुस्कुराती तस्वीर पर कालिख पोत दी गई। समाज ने इसे व्यक्तिगत और सामूहिक अपमान दोनों माना।
ज्ञापन और विरोध
नागौर में मेघवाल विकास समिति ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की। समिति के अध्यक्ष मूलचंद पवार ने कहा कि यह कालिख केवल विधायक के चेहरे पर नहीं, बल्कि पूरे समाज की शांति और सौहार्द पर पोती गई है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन किया जाएगा।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और साजिश के आरोप
स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं ने इसे राजनीतिक साजिश करार दिया। उनका कहना है कि हाल ही में बाड़मेर के पूर्व विधायक मेवाराम जैन के पोस्टर पर भी इसी तरह की हरकत हुई थी। विपक्षी दलों ने घटना की निंदा की है, जबकि भाजपा इसे सत्तारूढ़ गठबंधन के खिलाफ षड्यंत्र मान रही है। कई सामाजिक संगठनों का कहना है कि विधायक कलेरू सिर्फ़ राजनीतिक नेता नहीं, बल्कि सामाजिक एकता के प्रतीक भी हैं। 36 कौमों के प्रतिनिधियों ने भी विरोध जताया।
पुलिस की कार्रवाई
घटना के बाद पुलिस हरकत में आ गई। जिला पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं और अज्ञात आरोपियों की तलाश में विशेष टीम गठित की गई है।
विधायक का बयान
विधायक लक्ष्मण राम मेघवाल ने कहा, “मैं मिट्टी का वृक्ष हूं, जिसे नदियों ने सींचा है। ऐसी छोटी बातें मुझे विचलित नहीं कर सकतीं। कानून अपना काम करेगा और समाज मेरे साथ खड़ा है।” हालांकि, कुछ लोग मानते हैं कि मुख्यमंत्री के दौरे के लगातार रद्द होने और भाजपा के अंदरूनी मतभेदों के चलते विवाद बढ़ा।
सियासी मायने
यह घटना राजस्थान की राजनीति में बढ़ती असहिष्णुता और अंदरूनी खींचतान को दर्शाती है। साथ ही इसे सामाजिक सौहार्द पर चोट पहुंचाने वाली शर्मनाक हरकत माना जा रहा है। अब सभी की निगाहें प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी हैं।
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