
डॉ. विकास गुप्ता, सीईओ एवं मुख्य निवेश रणनीतिकार
नवरात्रि और निवेश का अनुशासन
भारत नवरात्रि का पर्व मना रहा है जो अनुशासन, समर्पण और नवीकरण का प्रतीक है तो यह संपत्ति निर्माण के लिए एक सार्थक उदाहरण प्रस्तुत करता है। जैसे नवरात्रि के अनुष्ठान नियमितता और संतुलन पर आधारित होते हैं, वैसे ही सफल निवेश भी अनुशासन और प्रक्रिया-आधारित दृष्टिकोण पर निर्भर करता है।
आज भारतीय इक्विटी बाज़ार में 7,500 से अधिक सूचीबद्ध कंपनियाँ और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था निवेशकों को अभूतपूर्व अवसर प्रदान करती है। फिर भी खुदरा निवेशकों से लेकर उच्च-निवल मूल्य वाले व्यक्तियों (HNIs) तक, अधिकांश निवेशक बेंचमार्क इंडेक्स से कम प्रदर्शन करते हैं।
इस विफलता का कारण अवसरों की कमी नहीं, बल्कि वैज्ञानिक अनुशासन को छोड़कर भावनात्मक निर्णय लेना है।
अंतर्ज्ञान आधारित निवेश का जाल
भारतीय निवेश चर्चाओं में पैटर्न दोहराते रहते हैं
• व्हाट्सऐप ग्रुप्स में “अगला मल्टीबैगर” खोजा जाता है।
• टीवी डिबेट्स सूचनाओं से ज्यादा शोर उत्पन्न करती हैं।
• IPO की भीड़ अक्सर तर्कसंगत मूल्यांकन से ज्यादा झुंड मानसिकता से प्रेरित होती है।
ऐसा शोर-आधारित निवेश लंबे समय में संपत्ति को नष्ट करता है। अध्ययनों से पता चलता है कि व्यक्तिगत निवेशक आमतौर पर बाज़ार की तुलना में 2–3% कम रिटर्न कमाते हैं- कारण यह कि भय और लालच विवेक पर हावी हो जाते हैं। पीटर लिंच ने कहा था: “स्टॉक्स से पैसे कमाने की कुंजी है उनसे डरकर बाहर न निकलना।” इसके लिए भावनाओं की जगह सबूतों पर भरोसा करना आवश्यक है।
वैज्ञानिक निवेश के चार स्तंभ संपत्ति निर्माण कोई कला नहीं, बल्कि एक अनुप्रयुक्त विज्ञान है। इसका ढांचा चार मूलभूत स्तंभों पर टिका है:
डेटा-आधारित निर्णय – हर निवेश कठोर विश्लेषण और तथ्यों पर आधारित होना चाहिए, न कि अफवाहों पर।
जोखिम-प्रथम पोर्टफोलियो निर्माण – रिटर्न से पहले जोखिम प्रबंधन।
आंतरिक मूल्य पर छूट (Discount to Intrinsic Value) – केवल वही कंपनियाँ जिनका मूल्यांकन उनके वास्तविक मूल्य से कम है।
चक्रवृद्धि का अनुशासन – दीर्घकालिक धैर्य और अनुशासन से ही चमत्कारिक परिणाम संभव हैं।
भारतीय बाज़ार चक्रों से सीख
2010–2012 रियल एस्टेट बूम: शॉर्ट-टर्म उत्साह में निवेशकों ने भारी नुकसान झेला।
FMCG और फ़ार्मा सेक्टर: मज़बूत नकदी प्रवाह और टिकाऊ व्यवसायों ने लम्बे समय में कई गुना संपत्ति बनाई।
निष्कर्ष : स्थायी संपत्ति निर्माण का रास्ता ट्रेंड्स का पीछा करने में नहीं, बल्कि मजबूत व्यवसायों को पहचानने और उन्हें लंबे समय तक धारण करने में है।
क्यों ज़रूरी है वैज्ञानिक निवेश आज
भारत का बाज़ार अधिक जटिल हो गया है-
• हर महीने कई IPO आते हैं,
• नए सेक्टर जैसे ग्रीन एनर्जी और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर उभर रहे हैं,
• वैश्विक ब्याज दरें और भू-राजनीतिक घटनाएँ अस्थिरता बढ़ाती हैं।
ऐसे में वैज्ञानिक और डेटा-आधारित फ़िल्टरिंग ही निवेशकों को दिशा दे सकती है।
गंभीर निवेशकों के लिए अनुशासन
संस्थागत निवेशक जैसे पेंशन फंड या ग्लोबल एसेट मैनेजर्स- वैज्ञानिक फ्रेमवर्क और कठोर निगरानी से चलते हैं। वहीं HNIs और फ़ैमिली ऑफ़िस अक्सर अनौपचारिक सलाह और अंतर्ज्ञान पर निर्भर करते हैं।
इस अंतर को पाटना ही असली अंतर पैदा करता है।
भारत का $5 ट्रिलियन अवसर
भारत के $5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के साथ, कुछ सेक्टर पीढ़ीगत संपत्ति निर्माण का आधार बन सकते हैं:
• बैंकिंग एवं वित्तीय सेवाएँ
• स्वच्छ ऊर्जा एवं ऊर्जा संक्रमण
• विनिर्माण और औद्योगिक सेवाएँ
• वाणिज्यिक सेवाएँ और लॉजिस्टिक्स
• रेलवे, रक्षा और बुनियादी ढाँचा
वैज्ञानिक संपत्ति निर्माण की निश्चितता
बाज़ार हमेशा शोर उत्पन्न करेगा, लेकिन विज्ञान स्पष्टता लाता है। अंतर्ज्ञान केवल अनुमान है, जबकि सबूत चक्रवृद्धि करता है। नवरात्रि जैसे उत्सव हमें याद दिलाते हैं कि अनुशासन और आस्था ही विजय दिलाते हैं। वैसे ही निवेश में भी भावनाओं पर सबूतों की जीत ही असली संपत्ति निर्माण का मार्ग है।
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