Jalaun : कलेक्ट्रेट सभागार में बैठक आयोजित की गई

Jalaun : भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार अर्हता तिथि 01.11.2025 के आधार पर इलाहाबाद-झांसी खंड स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावलियों के डी-नोवो पुनरीक्षण कार्यक्रम के संबंध में सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में बैठक आयोजित की गई। उन्होंने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार, निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी, इलाहाबाद-झांसी खंड स्नातक निर्वाचन क्षेत्र, एवं आयुक्त, झांसी मंडल, झांसी के पत्र दिनांक 16 सितंबर 2025 के साथ मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तर प्रदेश, लखनऊ के पत्र दिनांक 12 सितंबर 2025 के क्रम में, अर्हता तिथि 01.11.2025 के आधार पर विधान परिषद के खंड स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों की निर्वाचक नामावलियों के डी-नोवो पुनरीक्षण के संबंध में निम्नलिखित कार्यक्रम उपलब्ध कराए गए हैं।

उन्होंने बताया कि दिनांक 30.09.2025 को निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण नियम, 1960 के नियम 31(3) के अंतर्गत सार्वजनिक नोटिस जारी किया जाएगा। दिनांक 15.10.2025 को निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण नियम, 1960 के नियम 31(4) के अंतर्गत समाचार पत्रों में नोटिस का प्रथम पुनर्प्रकाशन होगा। दिनांक 25.10.2025 को निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण नियम, 1960 के नियम 31(4) के अंतर्गत समाचार पत्रों में नोटिस का द्वितीय पुनर्प्रकाशन होगा। दिनांक 06.11.2025 को फॉर्म 18 में आवेदन प्राप्त करने की अंतिम तिथि होगी। दिनांक 20.11.2025 तक पांडुलिपियों की तैयारी और आलेख्य निर्वाचक नामावलियों का मुद्रण किया जाएगा। दिनांक 25.11.2025 को निर्वाचक नामावलियों का आलेख्य प्रकाशन होगा। दिनांक 25.11.2025 से 10.12.2025 तक दावे और आपत्तियां दाखिल करने की अवधि होगी (निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण नियम, 1960 के नियम 12 के अंतर्गत)। दिनांक 25.12.2025 तक दावे और आपत्तियों का निस्तारण किया जाएगा और अनुपूरक सूची तैयार व मुद्रित की जाएगी। दिनांक 30.12.2025 को निर्वाचक नामावलियों का अंतिम प्रकाशन होगा।

उन्होंने कहा कि इलाहाबाद-झांसी खंड स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के संदर्भ में भारत निर्वाचन आयोग के पत्र दिनांक 05.09.2016 के पैरा-1.2 के अनुसार, पात्रता/अर्हता स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में पंजीकरण के लिए व्यक्ति की पात्रता संविधान के अनुच्छेद 171(3) और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 27(3)(क), 27(5)(क) और 27(6) के उपबंधों के संबंध में निर्धारित की जाएगी। तदनुसार, कोई व्यक्ति जो अर्हता तारीख से कम से कम तीन वर्ष पहले से भारत के किसी विश्वविद्यालय से स्नातक हो या यथानिर्धारित समतुल्य अर्हता रखता हो और संबंधित निर्वाचन क्षेत्र का सामान्य निवासी हो, स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में निर्वाचक के रूप में रजिस्ट्रीकृत होने का हकदार है।

उन्होंने कहा कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 27(5) के अनुसार, स्नातक निर्वाचक क्षेत्र की निर्वाचक नामावली में रजिस्ट्रीकृत होने के लिए किसी व्यक्ति को निम्नलिखित शर्तें पूरी करनी होंगी। व्यक्ति को स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में सामान्य निवासी होना चाहिए और अर्हता तारीख से कम से कम तीन वर्ष पहले भारत के किसी विश्वविद्यालय से स्नातक होना चाहिए या लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 27 की उपधारा (3) के खंड (क) के अधीन निर्वाचन आयोग की सहमति से संबंधित राज्य सरकार द्वारा ऐसी अर्हता जो भारत के किसी विश्वविद्यालय के स्नातक के समतुल्य मानी जाती हो, धारित करता हो। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 27 यह निर्धारित करती है कि अर्हता तारीख उस वर्ष की पहली नवंबर होगी, जिस वर्ष निर्वाचक नामावली के पुनरीक्षण की तैयारी शुरू हुई हो।

स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की नामावली में नाम शामिल करने के लिए दावा आवेदन फॉर्म 18 में किए जाएंगे। आवेदक की सामान्य निवास स्थिति के सत्यापन के अतिरिक्त, यह भी सत्यापित करना जरूरी है कि आवेदक अर्हता तारीख से कम से कम तीन वर्ष पहले अपेक्षित शैक्षिक योग्यताएं रखता हो। पात्र व्यक्ति को अपने नाम के नामांकन के लिए निम्नलिखित दस्तावेजों में से किसी एक के साथ निर्धारित फॉर्म-18 में आवेदन करना चाहिए:

  • संबंधित विश्वविद्यालय या संस्थान द्वारा जारी डिग्री/डिप्लोमा प्रमाणपत्र की मूल प्रति या इसकी एक प्रति, जो संबंधित जिले के पदनामित अधिकारी/अपर पदनामित अधिकारी/राजपत्रित अधिकारी द्वारा मूल डिग्री/डिप्लोमा प्रमाणपत्र के साथ विधिवत सत्यापित और अनुप्रमाणित हो।
  • किसी कार्यालय/संस्थान के राजपत्रित प्रमुख द्वारा अपनी अभिरक्षा में रखे गए सरकारी रिकॉर्ड में की गई प्रविष्टियों के आधार पर किसी स्नातक को जारी की गई सरकारी रिकॉर्ड की प्रविष्टि या प्रमाणपत्र की एक प्रति।
  • सांविधिक निकायों, निगमों, या सार्वजनिक उपक्रमों के रिकॉर्ड में की गई प्रविष्टि की एक प्रति, जिसमें दावेदार द्वारा प्राप्त डिग्री, डिप्लोमा या प्रमाणपत्र का उल्लेख हो और जिसे संबंधित कार्यालय के प्रमुख द्वारा विधिवत अनुप्रमाणित किया गया हो।
  • विश्वविद्यालय द्वारा जारी रजिस्ट्रीकृत स्नातक के रूप में रजिस्ट्रेशन कार्ड की एक अनुप्रमाणित प्रति, रजिस्ट्रीकृत स्नातकों की सूची में संगत प्रविष्टि की एक प्रमाणित प्रति, अधिवक्ताओं की नामावली, मेडिकल प्रैक्टिशनर का रजिस्टर, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स का रजिस्टर, इंजीनियर्स संस्थान द्वारा अनुरक्षित इंजीनियर्स का रजिस्टर आदि।
  • दावेदार द्वारा एक शपथपत्र, जो विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार, विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेज के प्राचार्य, या उस कॉलेज के विभागाध्यक्ष, जहां दावेदार ने अध्ययन किया हो, द्वारा प्रमाणित हो।
  • विश्वविद्यालय या संबंधित संस्थान द्वारा जारी मार्कशीट की मूल प्रति, जिसे संबंधित जिले के पदनामित अधिकारी/अपर पदनामित अधिकारी/राजपत्रित अधिकारी/नोटरी पब्लिक द्वारा मूल मार्कशीट के साथ उचित सत्यापन के बाद अनुप्रमाणित किया गया हो, बशर्ते यह स्पष्ट निर्देश हो कि दावेदार ने संबंधित परीक्षा उत्तीर्ण की हो।

उन्होंने कहा कि आवेदन डाक द्वारा भी निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी/सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी/पदनामित अधिकारी को भेजे जा सकते हैं। इन आवेदनों के साथ आवेदक की डिग्री/डिप्लोमा प्रमाणपत्र/मार्कशीट या अन्य अपेक्षित दस्तावेज की प्रति संलग्न होनी चाहिए, जो पदनामित अधिकारी/अपर पदनामित अधिकारी/संबंधित जिले के राजपत्रित अधिकारी/नोटरी पब्लिक द्वारा मूल दस्तावेज से विधिवत मिलान और सत्यापित हो। यदि आवेदक अपने आवेदन को व्यक्तिगत रूप से विधिवत नियुक्त निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी/सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी/पदनामित अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करता है, तो वह मूल डिग्री/डिप्लोमा प्रमाणपत्र/मार्कशीट प्रस्तुत करेगा। अधिकारी आवेदन के साथ प्रस्तुत दस्तावेजों की जांच करेगा और स्वयं संतुष्ट होने पर “मूल से सत्यापित किया और सही पाया गया” या “मूल से सत्यापित किया और सही नहीं पाया गया, निरस्त किया गया” लिखेगा। वह संक्षिप्त जांच के चिह्न के रूप में आवेदन पर अपने हस्ताक्षर, पूरा नाम और पिन संख्या (पदनामित अधिकारी के मामले में) अंकित करेगा और आवेदन को निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी को अग्रेषित करेगा।

जो आवेदन उपरोक्त प्रक्रिया का पालन नहीं करते, उन्हें निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी द्वारा अपूर्ण मानकर निरस्त कर दिया जाएगा। चूंकि स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावलियां प्रत्येक द्विवार्षिक/उप-निर्वाचन से पहले नए सिरे से तैयार की जाती हैं, इसलिए मौजूदा नामावलियों में शामिल व्यक्तियों को भी निर्धारित प्रारूप में नए आवेदन जमा करने होंगे। स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में नामांकन चाहने वाले व्यक्ति को प्रत्येक आवेदन के साथ निर्धारित प्रारूप 18 में अपेक्षित दस्तावेज/प्रमाणपत्र संलग्न करने होंगे। यह भी ध्यान दिया जाए कि निर्वाचक नामावली में नामांकन की पात्रता निर्धारित करने के लिए मौजूदा निर्वाचक नामावली की किसी प्रविष्टि का संदर्भ नहीं लिया जाएगा। व्यक्तिगत रूप से या डाक द्वारा बड़ी संख्या में भेजे गए आवेदन पत्रों पर निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी द्वारा विचार नहीं किया जाएगा।

उन्होंने एपिक नंबरों के संग्रहण हेतु विशेष दिशा-निर्देश देते हुए कहा कि चूंकि स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों की निर्वाचक नामावलियां प्रत्येक निर्वाचन से पहले फॉर्म 18 में नए आवेदन आमंत्रित कर नए सिरे से तैयार की जाती हैं, इसलिए वर्तमान निर्वाचक नामावली का कोई संदर्भ नहीं लिया जाएगा। आयोग ने स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों के लिए फोटो निर्वाचक नामावलियां तैयार करने का निर्णय लिया है। अतः स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों में नामांकित सभी निर्वाचकों के फोटो प्राप्त किए जाएंगे। चूंकि विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में एपिक कवरेज बहुत अधिक है, इसलिए नामांकित सभी व्यक्तियों के एपिक नंबर प्राप्त किए जाएंगे।

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 17 और 18 के उपबंध लागू होंगे, जिसके तहत किसी व्यक्ति को एक ही श्रेणी में एक से अधिक बार मतदाता के रूप में पंजीकृत नहीं किया जाएगा। विधि एवं न्याय मंत्रालय की अधिसूचना दिनांक 17 जून 2022 द्वारा स्नातक निर्वाचन क्षेत्र हेतु निर्धारित प्रारूप 18 में आंशिक संशोधन किया गया है। नया संशोधित फॉर्म दिनांक 01 अगस्त 2022 से लागू है। प्रारूप 18 में आधार नंबर हेतु दिया गया क्षेत्र स्वैच्छिक है। आवेदक को आधार नंबर देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा और न ही यह आवेदन अस्वीकार करने का कारण होगा। आवेदकों के आधार नंबर का रखरखाव करते समय आधार (वित्तीय और अन्य सुविधाओं, लाभों और सेवाओं का लक्षित परिदान) अधिनियम, 2016 की धारा 37 के प्रावधानों का पालन किया जाएगा। किसी भी परिस्थिति में आधार विवरण सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। यदि निर्वाचकों की सूचना सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए रखी जानी हो, तो आधार विवरण को हटाया या छिपाया जाएगा। आधार नंबर के अंकन वाले प्रारूप 18 की हार्ड कॉपी को सुरक्षित रखने के संबंध में आधार नियम 14(1)(mb) के प्रावधानों का कड़ाई से पालन किया जाएगा, जो कहता है कि आधार कार्ड या पत्र की छायाप्रतियों अथवा भौतिक प्रतियों के माध्यम से एकत्र किए गए आधार नंबर के प्रथम 08 अंकों को प्राधिकारी द्वारा भौतिक प्रतियों के भंडारण से पहले छुपाया (मास्क्ड) या संपादित (रिडैक्ट) किया जाएगा। इस प्रकार एकत्र प्रारूप 18, संलग्नकों सहित, डिजिटाइजेशन के पश्चात निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी द्वारा डबल लॉक की सुरक्षित कस्टडी में रखे जाएंगे। भौतिक प्रपत्रों के पब्लिक डोमेन में लीक होने या सार्वजनिक होने पर संबंधित अतिरिक्त सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं पदनामित अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाएगी।

संस्थानों के प्रमुख अपने सभी पात्र कर्मचारियों के आवेदन एक साथ अग्रेषित कर सकते हैं। इसी तरह, कोई व्यक्ति अपने परिवार के अन्य पात्र सदस्यों, जो एक ही पते पर रहते हों, के संबंध में फॉर्म 18 प्रस्तुत कर सकता है और प्रत्येक ऐसे सदस्य के संबंध में मूल प्रमाणपत्र प्रस्तुत कर सत्यापित करवा सकता है। किसी राजनीतिक दल, बूथ लेवल एजेंट, या आवासीय कल्याण एसोसिएशन द्वारा बड़ी संख्या में भेजे गए आवेदनों पर विचार नहीं किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि दावे और आपत्तियां प्राप्त करने की अवधि के दौरान स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के प्रत्येक मतदान केंद्र के लिए एक पदनामित अधिकारी नियुक्त किया गया है। पदनामित अधिकारी दावे और आपत्तियां प्राप्त करने के लिए सभी कार्यदिवसों में कार्यालय समय के दौरान मतदान केंद्रों पर उपलब्ध रहेंगे।

ये भी पढ़ें: सरकार ने एससी मुर्मू को आरबीआई का डिप्टी गवर्नर नियुक्त किया

Kasganj : दीवार में नकब लगाकर चोर ले उड़े लाखों के जेवरात, पुलिस जांच में जुटी

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें