Basti : मेडिकल एक्ट के मानक पर खरे नहीं उतरे डेढ़ सौ अस्पताल… फिर भी जीवन के साथ हो रहा खिलवाड़

  • पंजीकरण के लिए 325 निजी अस्पतालों ने किया था आवेदन, मानक पर 140 फेल

Basti : जिले में अवैध रूप से संचालित निजी अस्पतालों की संख्या चिंता बढ़ा रही है। कई ऐसे अस्पताल हैं जहां एमबीबीएस या बीएमएस डिग्री वाले चिकित्सक तक नहीं हैं, लेकिन मरीजों का सर्जरी और प्रसव जैसे गंभीर इलाज किया जा रहा है। ऑपरेशन थियेटर की व्यवस्था घरों जैसी कमरों में कर दी गई है।
स्वास्थ्य विभाग की पंजीकरण प्रक्रिया में यह स्थिति उजागर हुई। इस साल 325 निजी अस्पतालों ने पंजीकरण के लिए आवेदन किया, लेकिन 140 अस्पताल मानक पर खरे नहीं उतरे। इनके आवेदन निरस्त कर दिए गए, लेकिन अधिकांश अस्पताल अब भी संचालित हो रहे हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार, कुछ अस्पताल महकमे के जिम्मेदार अधिकारियों के साथ गठजोड़ कर संचालन जारी रख रहे हैं।

नुस्खा देख बन बैठे डॉक्टर

– कुछ अस्पताल संचालक बड़े डॉक्टरों से सीखे नुस्खे के आधार पर खुद डॉक्टर बन बैठे हैं। जहां गर्भवती महिलाओं की नार्मल और सीजर डिलेवरी कराई जा रही है। मरीज माफियाओं के दबाव में महकमे के जिम्मेदारों से सीधे संपर्क बनाकर छापेमारी से बचते हैं। पिछले दिनों छावनी थाना क्षेत्र के आठ निजी अस्पताल बिना पंजीयन के संचालित पाए गए थे, लेकिन किसी पर एफआईआर नहीं हुई। मरीज माफियाओं के हस्तक्षेप से मामले को शांत कराया गया।

लटक गई जांच

  • जेके हॉस्पिटल में हाल ही में एक बच्चे की मौत के मामले में विभाग और मजिस्ट्रेट की निगरानी में जांच हुई। जांच में बाल रोग विशेषज्ञ की मौजूदगी में क्षमता से अधिक मरीजों का इलाज पाया गया, लेकिन कार्रवाई लटकी रह गई। इसी तरह अन्य वीवीआईपी अस्पतालों में भी क्षमता से अधिक मरीज भर्ती और ओपीडी संचालन के मामले सामने आए।

डॉ. राजीव निगम, सीएमओ ‘स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया कि 30 अप्रैल से लगातार पंजीकरण अभियान चलाया गया। नियमों के अनुसार बिना पंजीयन किसी अस्पताल या डाइग्नोस्टिक सेंटर का संचालन अवैध है और संज्ञान में आने पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।’

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