
लखीमपुर खीरी में न्यायपालिका की साख को चोट पहुंचाने और व्यक्तिगत स्वार्थ साधने की एक बड़ी साजिश का खुलासा हुआ है। 25 सितंबर की शाम करीब 5 बजे अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (ACJM)-II लखीमपुर खीरी के मोबाइल पर एक मोबाइल नंबर से कॉल आया। फोन करने वाले ने खुद को इलाहाबाद हाईकोर्ट, लखनऊ खंडपीठ के वरिष्ठ न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति राजन राय बताकर परिचय दिया।
फोन करने वाले ने मजिस्ट्रेट से कहा कि वे तत्काल स्थानीय विधायक श्री वर्मा से बातचीत कराएं या कम से कम लखीमपुर के किसी वरिष्ठ अधिवक्ता अथवा बार एसोसिएशन अध्यक्ष से सम्पर्क करवाएं। जब मजिस्ट्रेट ने मना किया तो कॉलर लगातार दबाव बनाने लगा।
लगातार फोन आने और आवाज-भाषा शैली की तुलना करने पर मजिस्ट्रेट को शक हुआ। न्यायमूर्ति राजन राय से कई ऑनलाइन मीटिंग में हुई मुलाकातों का अनुभव उन्हें याद आया और उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि कॉल करने वाला व्यक्ति न्यायमूर्ति नहीं बल्कि कोई अज्ञात ठग है।
संदेह दूर करने के लिए मजिस्ट्रेट ने तुरंत न्यायमूर्ति राजन राय के निजी सचिव संतोष कुमार से सम्पर्क किया। सचिव ने साफ किया कि यह नंबर न्यायमूर्ति का नहीं है, न ही उन्होंने कभी मजिस्ट्रेट को फोन किया। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि माननीय न्यायमूर्ति के पास मजिस्ट्रेट का मोबाइल नंबर तक उपलब्ध नहीं है।
20 मिनट तक चला धोखे का खेल
पूरा घटनाक्रम शाम 5:00 बजे से 5:20 बजे तक चला। यह साफ हो गया कि यह न्यायपालिका की गरिमा पर हमला करते हुए आपराधिक प्रतिरूपण और धोखे का प्रयास था।
एफआईआर दर्ज, जांच सौंपा गया
घटना की गंभीरता देखते हुए न्यायालय से आदेश पारित हुआ कि थाना कोतवाली सदर में मुकदमा दर्ज किया जाए। पुलिस ने केस दर्ज कर अवर निरीक्षक जितेन्द्र कुमार यादव को जांच सौंपी है। आरोपी की पहचान फिलहाल अज्ञात है, लेकिन मोबाइल नंबर से जांच की दिशा तय की जा रही है। इस मामले में शिकायतकर्ता प्रेमचन्द्र, IIND रीडर, न्यायालय ने तहरीर दी।
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