
- गोस्वामी समाज ने किया शांतिपूर्ण प्रदर्शन, कोर्ट के आदेश की अवमानना का आरोप
Vrindavan, Mathura : ठाकुर श्री बांके बिहारी जी महाराज, वृंदावन के मंदिर प्रबंधन को लेकर एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है। माननीय उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली के आदेश दिनांक 8 अगस्त 2025 से गठित हाई पावर मैनेजमेंट कमेटी के नए निर्णयों का गोस्वामी समाज ने कड़ा विरोध शुरू कर दिया है। शनिवार को समाज के प्रतिनिधियों ने मंदिर के गेट नंबर-1 पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर अपने असंतोष को दर्ज कराया और कहा कि मंदिर की परंपराओं के विरुद्ध किसी भी प्रकार का बदलाव स्वीकार नहीं होगा।
समिति की भूमिका और कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर प्रबंधन की देखरेख और श्रद्धालुओं की सुविधा—जैसे जल, शौचालय और शेल्टर की उपलब्धता—सुनिश्चित करने के लिए हाई पावर कमेटी गठित की थी। समिति के अध्यक्ष के रूप में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश अशोक कुमार गुप्ता को नियुक्त किया गया। आदेश में स्पष्ट था कि ठाकुर जी की सेवा व्यवस्था में समिति को किसी प्रकार का हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं होगा।
लेकिन गोस्वामी समाज का आरोप है कि समिति ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर ठाकुर जी की सेवा और आराम के समय में कटौती की तथा दर्शन का समय बढ़ा दिया, जबकि इस विषय पर पूर्व में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 28 नवंबर 2022 को स्पष्ट आदेश पारित कर दर्शनों के समय बढ़ाने पर रोक लगाई थी।
कोर्ट आदेश की अवमानना का आरोप
इससे पहले 14 नवंबर 2022 को मथुरा के सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के आदेश से दर्शन का समय बढ़ाया गया था, जिसे हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर स्थगित कर दिया था। गोस्वामी समाज का कहना है कि अदालत का आदेश वर्तमान में भी प्रभावी है, बावजूद इसके हाई पावर कमेटी ने 11 सितंबर 2025 की बैठक में समय परिवर्तन का प्रस्ताव पारित कर उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना की।
गौरव गोस्वामी ने समिति को एक विधिक नोटिस भेजकर आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने का आग्रह किया था, लेकिन उसे नजरअंदाज कर समिति ने मनमाने ढंग से दर्शन समय बढ़ाने का निर्णय जारी कर दिया। इस पर गौरव गोस्वामी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका संख्या 5608/2025 दाखिल की है, जिस पर अवकाश के बाद सुनवाई होने की संभावना है।
समाज का आरोप और प्रदर्शन
हिमांशु गोस्वामी ने कहा कि समिति की संरचना ही पक्षपातपूर्ण है। उनके अनुसार, बिना चुनाव कुछ स्वामियों को मनोनीत कर लिया गया है और वे हर निर्णय पर आँख मूँदकर सहमति जता रहे हैं। उन्होंने इसे मंदिर की परंपरा और पारंपरिक व्यवस्थाओं के विरुद्ध बताया। श्यामा गोस्वामी ने स्पष्ट किया कि गोस्वामी समाज के आंदोलन सदैव शांतिपूर्ण होते हैं। उन्होंने कहा, “हम कभी भी उग्र आंदोलन नहीं करते, लेकिन ठाकुर जी की परंपराओं से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे। समिति यदि अपने वर्चस्व की राजनीति करती रही, तो समाज व्यापक आंदोलन के लिए बाध्य होगा।
श्रद्धालुओं की आस्था और परंपरा पर असर
गोस्वामी समाज का कहना है कि दर्शन समय और व्यवस्थाओं में बदलाव से श्रद्धालुओं की धार्मिक आस्था प्रभावित होगी और यह मंदिर की सदियों पुरानी परंपरा को तोड़ने वाला कदम है। समाज ने समिति से मांग की है कि वह उच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन करे और केवल उन्हीं दायित्वों तक सीमित रहे जो सुप्रीम कोर्ट ने उसे सौंपे हैं। फिलहाल, बांके बिहारी मंदिर का विवाद एक बार फिर अदालत और सड़कों दोनों पर गहराता दिखाई दे रहा है। समाज ने साफ कर दिया है कि यदि समिति अपने फैसलों पर अड़ी रही, तो हम विरोध करने को बाध्य होंगे।