
चर्चा है कि, विजय-दशमी पर रावण वध के बाद गैंगचार्ट बेपर्दा होगा। इसी के साथ साकेत दरबार के शस्त्र लाइसेंस निरस्त कराने की तैयारी है। संभावित गैंगचार्ट में आका के अतिरिक्त नौ ब्राह्मण और दो यादव शागिर्द होंगे। अंतिम पायदान पर वसूली का ब्रह्मास्त्र चलाने वाला पत्रकार बताया जाता है।
भास्कर ब्यूरो
कानपुर। विष-कन्याओं के पलटवार से कराहते साकेत दरबार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी है। जल्द ही गैंगचार्ट का ऐलान होगा, साथ ही दरबार के सभी सदस्यों के हथियारों के लाइसेंस निरस्त करने के लिए लिखा-पढ़ी शुरू होगी। अखिलेश दुबे के खिलाफ दो मामलों में लंबी-चौड़ी चार्टशीट के बाद गैंग के सदस्यों की शिनाख्त के बाद शागिर्दों की कुंडली को खाकी वर्दी ने फाइलों में सुरक्षित कर लिया है। उम्मीद है कि, विजयदशमी के मौके पर रावण वध के बाद खौफ और आतंक के सिंडिकेट के गैंगचार्ट को बेपर्दा कर दिया जाएगा। चर्चा है कि, साकेत दरबार के संभावित गैंग में आका के अलावा आठ ब्राह्मण तथा दो यादव शागिर्द बतौर सदस्य शामिल होंगे। एक नाम कचहरी की राजनीति से जुड़ा है, जोकि खुद दूसरे गैंग का लीडर है। दरबार और दरबारियों के शस्त्र लाइसेंसों को निरस्त कराने के लिए शहर जिला प्रशासन के साथ-साथ पंजाब सरकार से पत्राचार की तैयारी है।
पिता-पुत्र की जोड़ी के साथ सगे भाई भी गैंग में
साकेत दरबार के संभावित गैंग के सदस्यों की शिनाख्त के साथ-साथ क्रिमिनल कुंडली को जुटाने के बाद गैंगस्टर की तैयारी में खाकी वर्दी जुटी है। पुलिस आफिस के पुख्ता सूत्रों के मुताबिक, साकेत दरबार के गैंगचार्ट में आका को मास्टरमाइंड बनाया गया है, जबकि दरबार के लिए शिकार खोजने वाले बाप-बेटे की जोड़ी का नाम चौथे-पांचवे क्रम पर दर्ज है। दूसरे और तीसरे स्थान पर दरबार के शहंशाह के भाइयों के नाम लिखे गए हैं। सूत्रों का दावा है कि, छठवां और सातवां नाम दरबार के इशारे पर शिकार को धमकाने और मारपीट करने वाले सगे भाइयों का है, जबकि आठवां और नौवां नाम यदुवंशियों का है। एक यदुवंशी पर विषकन्याओं की सप्लाई का आरोप चस्पा है। अंतिम दो नाम ग्वालटोली में वक्फ की जमीन पर कब्जेदारी से जुड़े मामले में शामिल ब्राह्मण चेहरों के हैं। गैंग में वसूली का ब्रह्मास्त्र चलाने वाले पत्रकार के शामिल होने की चर्चा है।
हथियारों के शौक पर खाकी का ग्रहण लगेगा
साकेत दरबार की तमाम शिकायतों में रिवाल्वर दिखाकर अथवा मुंह में घुसेड़कर धमकाने के आरोपों की फेहरिस्त है। असलहों की बदौलत जरायम का साम्राज्य खड़ा करने की हरकत अब नहीं होगी। खाकी वर्दी ने तमाम शिकायतों और मुकदमों के आधार पर साकेत दरबार के एक दर्जन से ज्यादा शस्त्र लाइसेंसों को निरस्त करने के लिए जिला प्रशासन के साथ पत्राचार का इरादा बनाया है। सूत्रों का दावा है कि, इसी क्रम में पंजाब के लुधियाना और जालंधर शहरों के पते पर हासिल शस्त्र लाइसेंसों के निरस्तीकरण के लिए जल्द ही पंजाब पुलिस को चिट्ठी भेजी जाएगी। चर्चा पर यकीन करें तो दरबार से जुड़े शागिर्दों के असलहा लाइसेंस भी निरस्त कराने की तैयारी है। गौरतलब है कि, तफ्तीश में सामने आया है कि, अखिलेश एंड ब्रदर्स के तमाम हथियार पंजाब में आतंकवाद के दौर में काला इतिहास छिपाकर तत्कालीन पुलिस अफसरों की मेहरबानी से जारी हुए थे। पंजाब से जारी शस्त्र लाइसेंस के बारे में जानकारी जुटाने गई टीम को फाइल पर अंकित पते पर अखिलेश तथा उनके भाइयों की किरायेदारी के बारे में कोई जानकारी हासिल नहीं हुई।
40 साल पहले हासिल किया शस्त्र लाइसेंस
प्रारंभिक छानबीन में दुबे कुटुंब के पास डेढ़ दर्जन से ज्यादा लाइसेंसी हथियारों की जानकारी हासिल हुई है। अखिलेश दुबे के साथ-साथ अन्य तीनों भाइयों, परिवार की महिलाओं और बच्चों के नाम डबल बैरल बंदूक तथा रिवाल्वर के लाइसेंस जारी हुए हैं। पुलिस रिकार्ड के मुताबिक, पंजाब में आतंकवाद के दौर में लुधियाना जिले से अखिलेश दुबे ने 02 अगस्त 1984 में शस्त्र लाइसेंस संख्या 262 के जरिए रिवाल्वर खरीदी थी, जबकि इसी वर्ष पहली फरवरी को कानपुर से जारी लाइसेंस संख्या 105 के जरिए डबल बैरल बंदूक खरीदी थी। सूत्रों के मुताबिक, प्रारंभिक पड़ताल में सामने आया है कि, अखिलेश दुबे और उसके भाई कभी पंजाब के लुधियाना और पटियाला शहर में स्थाई तौर पर नहीं रहे, लेकिन निवास के फर्जीवाड़े के कागजात और पंजाब के अफसरों की मिलीभगत के कारण दुबे कुटुंब को आतंक की आग में झुलसते पंजाब की तत्कालीन हथियार नीति के कारण असलहों के लाइसेंस धड़ल्ले से जारी हुए।











