
Bihar elections 2025 : बिहार के चुनावी मैदान में यूपी के केशव प्रसाद मौर्य की भागीदारी से भाजपा ने एक बड़ा राजनीतिक दांव खेला है। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री के रूप में अपनी भूमिका निभाने वाले मौर्य को बिहार विधानसभा चुनाव का सह प्रभारी बनाकर भाजपा ने पिछड़ी जातियों को अपने पक्ष में लामबंद करने का प्रयास किया है, जिससे दोनों राज्यों में जातीय समीकरण मजबूत हो सके।
यूपी से बिहार तक का सफर
2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में संगठनात्मक कौशल और सरकार के अनुभव से भाजपा को ऐतिहासिक जीत दिलाने वाले मौर्य को बिहार में भी ‘यूपी मॉडल’ दोहराने का लक्ष्य है। दोनों राज्यों में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) जातियों का निर्णायक वर्चस्व है, और मौर्य की पहचान इसी समाज से है।
संघ से जुड़े रहे मौर्य ने स्वयंसेवक के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और लंबे समय तक हिन्दू संगठनों में सक्रिय रहे। भाजपा में उनके संगठनात्मक अनुभव और चुनावी रणनीति की समझ उन्हें प्रदेश नेतृत्व तक पहुंचाई। 2017 में योगी सरकार में उप मुख्यमंत्री बनाकर पार्टी ने उनके महत्व को स्वीकार किया।
2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा-शिवसेना गठबंधन के सह प्रभारी रहे मौर्य की भूमिका को पार्टी ने राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचाना है। बिहार की चुनावी सफलता के साथ ही, उन्हें राष्ट्रीय राजनीतिक मंच पर स्थापित करने का संकेत भी है। यदि बिहार में एनडीए फिर से सरकार बनाने में सफल रहता है, तो मौर्य का कद और भी बढ़ सकता है, जो आने वाले वर्षों में उत्तर प्रदेश के वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
बिहार में सह प्रभारी बनाए जाने के बाद, केशव प्रसाद मौर्य ने सोशल मीडिया (एक्स) पर पार्टी नेतृत्व का आभार व्यक्त किया और कहा, “भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा मुझे बिहार विधानसभा चुनाव में सह-प्रभारी की जिम्मेदारी देने पर हृदय से आभार। संगठन के मार्गदर्शन और कार्यकर्ताओं के परिश्रम से हम मिलकर बिहार में विकास का कमल खिलाएंगे। बिहार में फिर से एनडीए सरकार।”
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