
हमारे समाज में आम धारणा है कि पतला होना ही स्वास्थ्य का संकेत है, जबकि मोटापा बीमारियों का कारण माना जाता है। लेकिन डेनमार्क में किए गए एक लंबे और व्यापक अध्ययन ने इस सोच को चुनौती दी है। शोध के अनुसार, अत्यधिक दुबले लोग—जो ‘बहुत पतले’ श्रेणी में आते हैं—सामान्य वजन वाले लोगों की तुलना में तीन गुना ज्यादा मृत्यु के खतरे में होते हैं।
इस अध्ययन में दशकों तक हजारों लोगों के स्वास्थ्य डेटा का विश्लेषण किया गया, जिससे निष्कर्ष और भी विश्वसनीय बने। यह बताता है कि वजन सिर्फ मोटापा कम करने तक सीमित ध्यान का विषय नहीं होना चाहिए, बल्कि अत्यधिक दुबलापन भी गंभीर स्वास्थ्य जोखिम लेकर आता है।
नॉर्मल वेट का पैमाना बदल रहा है
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि समय के साथ ‘सामान्य’ वजन की परिभाषा बदल गई है। 1970 के दशक में सबसे कम मृत्यु दर वाले लोगों का BMI कम था, जबकि अब सबसे कम मृत्यु दर उन लोगों में पाई गई जिनका BMI लगभग 27 है, जिसे चिकित्सकीय रूप से ‘ओवरवेट’ माना जाता है। यह मानक 18.5-24.9 की सामान्य BMI रेंज से अलग है।
अत्यधिक दुबलापन क्यों खतरनाक है
शोध में कहा गया है कि बहुत पतले लोग अक्सर किसी छिपी बीमारी—जैसे कैंसर, फेफड़े की बीमारी या पाचन संबंधी विकार—का संकेत हो सकते हैं। इन बीमारियों के कारण उनका वजन बढ़ नहीं पाता, जिससे मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।
मोटापे को न करें नजरअंदाज
हालांकि अत्यधिक दुबलापन खतरनाक है, इसका मतलब यह नहीं कि मोटापा सुरक्षित है। मोटापा आज भी टाइप 2 डायबिटीज, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण है। यह अध्ययन केवल वजन के दोनों छोरों—बहुत दुबला और बहुत मोटा—पर मौजूद खतरों को उजागर करता है।
संतुलित और स्थिर वजन ही स्वास्थ्य की कुंजी
अध्ययन का मुख्य संदेश यह है कि अत्यधिक पतला या मोटा होना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। आदर्श वजन बनाए रखने के लिए संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना जरूरी है। किसी भी व्यक्ति के लिए आदर्श वजन उसकी उम्र, ऊँचाई और स्वास्थ्य की स्थिति पर निर्भर करता है। इसके लिए डॉक्टर से सलाह लेना सबसे सुरक्षित तरीका है।