Basti : बिहार की तर्ज पर बस्ती में भी लाखों के चारा घोटाला का आरोप…भाकियू भानु गुट के प्रवक्ता ने उठाई आवाज

  • ईओ नगर पालिका पर हर माह लाखों रुपये का चारा डकारने का लगाया आरोप
  • सीएम, प्रमुख सचिव, आयुक्त व डीएम को भेजा शिकायती पत्र

Basti : बिहार में चारा घोटाले का मामला अभी चल रहा है। इसी तर्ज पर बस्ती में भी गोवंश के चारा के लिए मिलने वाले धन में करीब ढाई लाख रुपये हर माह डकारने का आरोप ईओ अंगद कुमार पर लगा है। यह आरोप लगाया है भाकियू भानु गुट के मंडल प्रवक्ता चंद्रेश प्रताप सिंह ने। हालांकि इस आरोप को ईओ नगर पालिका ने निराधार बताते हुए कहा कि यहां केवल ईओ की सब जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि कर्मचारी व पालिकाध्यक्ष भी जिम्मेदार होते हैं।

इधर चंद्रेश ने शपथ-पत्र के साथ मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव, कमिश्नर और डीएम को पत्र लिखे पत्र में कहा है, कि पालिका के ईओ सरंक्षित पशुओं की संख्या अधिक बताकर उनके नाम पर हर माह दो लाख 40 हजार के चारा का रुपये डकार जा रहे हैं। इन्होंने इसकी उच्च स्तरीय जांच और विधिक कार्रवाई करने की मांग की है। शिकायत को वह सही करार देते बता रहे हैं कि गोवंश के लिए मिलने जो चारा का धन मिलता है वह हर साल ईओ के पेट में चारे का 28.28 लाख जाता है। खासबात यह है, कि यह आरोप सिर्फ ईओ पर ही लगाए गए है।

पत्र में कहा गया है, कि पालिका की ओर से संचालित पालिका कार्यालय के पास और संजय कालोनी महुडर गोशालाएं है। इन दोनों गोशालाओं में 384 गोवंश संरक्षित दिखाकर डीएम से 50 रुपये गोवंश के चारे के नाम पर प्रथम छमाही अप्रैल से सितंबर 25 तक भूसा और चारा के नाम पर 34 लाख 95 हजार प्राप्त किया। कहा कि 30 जुलाई 25 को जब डीएम ने कान्हा गौशाला नगर पालिका का निरीक्षण किया तो कुल 194 ही पशु मिले, जब डीएम ने दैनिक पुस्तिका मांगा तो बताया गया कि आडिट के लिए गया। दावा किया जा रहा है, कि दोनों गोशालाओं में गोवंश की संख्या 300 भी नहीं होगी। सवाल उठ रहा है, कि जब 394 गोवंश के चारे के नाम पर छह माह के लिए 34.94 लाख लिया गया तो पैसा और 84 गोवंश गया कहां ?

शिकायत कर्ता ने सवाल उठाया है कि क्या गोवंश को बेच दिया गया? या फिर उन्हें पशु तस्करों के हवाले कर दिया गया ? यह भी लिखा गया कि पालिका अपने चहेते आपूर्तिकर्ता को लाभ पहुंचाने के लिए पिछले एक साल से भूसा और चारा का टेंडर ही नहीं कराया और पुराने रेट यानि 600 रुपये प्रति क्विंटल के दर से भुगतान किया जा रहा है। आरोप लगाया गया है कि मार्च-अप्रैल में भूसा की अधिक आवश्यकता पड़ती है, उसे स्टोर न करके निर्धारित दर से अधिक दर पर खरीदा जाता। यह सवाल किया कि आखिर दूधारु गोवंश का दूध गया कहां ? गोशालाओं की क्षमता की भी जांच कराने की मांग की गई हैआरोप लगाया गया है कि सरकारी तौर पर प्रतिमाह पांच लाख 83 हजार भूसा और चोकर के नाम पर खर्च दिखाया जा रहा है। इसमें कम से कम दो लाख से अधिक प्रति माह का घोटाला ईओ कर रहे हैं।

बोले ईओ

नगर पालिका परिषद के ईओ अंगद प्रसाद ने कहा कि आरोप लगाने वाले अपना उल्लू पालिका से सीधा करना चाहते हैं, मगर जब उनकी दाल नहीं गली तो आरोप मढ़ दिया। इस की जांच होगी तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें