
Jhansi : कहते हैं जिंदगी अनमोल है, मगर कानपुर में यह अनमोल जिंदगी छोटी-छोटी बातों पर खत्म हो रही है। कभी करियर में असफलता, कभी प्यार में धोखा और कभी परिवार की डांट… हर दिन पाँच से छह लोग अपनी जान दे रहे हैं। सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें सबसे बड़ी संख्या 09 से 19 साल के किशोरों की है, जो जिंदगी की मुश्किलों से जूझने के बजाय मौत को गले लगा रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि 2023 में कुल 1544 लोगों ने आत्महत्या की, 2024 में यह संख्या बढ़कर 1632 हो गई। अगस्त 2025 तक ही 940 लोग मौत को गले लगा चुके हैं। यानी हर साल औसतन हजार से ज्यादा लोग छोटी-छोटी बातों पर अपनी जिंदगी खत्म कर रहे हैं।
किशोरावस्था में बढ़ रहा आत्महत्या का खतरा
09 से 19 साल के किशोरों की आत्महत्या के मामले 2023 में 463 थे, जो 2024 में बढ़कर 509 हो गए। 20 से 29 साल के युवाओं के 2023 में 311 मामले थे, जो 2024 में 422 तक पहुँच गए। यह आंकड़े बताते हैं कि देश का भविष्य कहे जाने वाले युवाओं की सोच और मानसिक स्वास्थ्य पर गहराई से काम करने की जरूरत है। वहीं, मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि किशोरावस्था में बच्चे सबसे ज्यादा भावनात्मक होते हैं। असफलता, डांट या नाराजगी का असर इस उम्र में सबसे गहरा होता है।
शहर में ठप हो गई एंटी सुसाइड सेल
कमिश्नरेट बनने पर एंटी सुसाइड सेल बनाई गई थी। इस सेल को रिजल्ट आने पर और थानों में आने वाली सूचनाओं पर काम करने का निर्देश था। इस सेल में हाई क्वालीफाइड पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई थी, जो आत्महत्या करने का विचार करने वालों की पहचान कर उनकी काउंसिलिंग करते थे। समय बीतने के साथ ही एंटी सुसाइड सेल में तैनात पुलिस कर्मियों को अन्य सेल में भेज दिया गया और एंटी सुसाइड सेल ठप हो गया।
आत्महत्या के पीछे बड़ी वजहें
- करियर और बेरोजगारी के कारण: 32%
- पारिवारिक कलह: 27%
- प्रेम में धोखा: 18%
- बीमारी: 11%
- प्रतियोगी परीक्षाओं में असफलता: 9%
- डिप्रेशन: 3%
इतनी तरह से कानपुर में लोग दे रहे जान
- फाँसी लगाकर: 42%
- जहरीला पदार्थ खाकर: 22%
- गंगा में कूदकर: 17%
- ट्रेन के आगे कूदकर: 08%
- खुद को आग लगाकर: 03%
- बिल्डिंग से कूदकर: 08%
साल 2023
- 09 से 19 साल: 463
- 20 से 29 साल: 311
- 30 से 40 साल: 332
- 41 से 55 साल: 331
- 56 से ज्यादा साल: 107
कुल: 1544
साल 2024
- 09 से 19 साल: 509
- 20 से 29 साल: 422
- 30 से 40 साल: 309
- 41 से 55 साल: 295
- 56 से ज्यादा साल: 97
कुल: 1632
अगस्त 2025
- 09 से 19 साल: 293
- 20 से 29 साल: 335
- 30 से 40 साल: 147
- 41 से 55 साल: 129
- 56 से ज्यादा साल: 36
कुल: 940
क्या कहते हैं मनोवैज्ञानिक
- डॉ. नरेश चंद्र गंगवार (रिटायर्ड मनोवैज्ञानिक केंद्र): इस उम्र से पहले बच्चे को सोचने की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन किशोरावस्था में वह करियर और जरूरतों के बारे में सोचना शुरू करता है। हमें पैरेंटिंग सीखनी होगी। बच्चों से इतना मित्रवत रहिए कि वे पड़ोसी से अपनी बात कहने के बजाय आपसे कहें। इस उम्र में अनुभव नहीं होता और सोचने-समझने की क्षमता कम होती है, इसलिए बच्चे धोखा खा जाते हैं। माता-पिता को अपने व्यवहार में बदलाव लाना होगा।
- डॉ. विशेष गुप्ता (साइकोलॉजिस्ट): यह बहुत चिंता का विषय है। देश का भविष्य भटक रहा है। अगर अभी न सोचा और न समझा गया तो सब बर्बाद हो जाएगा। बच्चों पर कुछ थोपने के बजाय उनके विचारों को समझें और खुद को उनके मुताबिक ढालें। अगर आप इतना करने में सफल हो जाते हैं तो निश्चित रूप से यह आंकड़ा कम होने लगेगा।
जरूरी है सामाजिक बदलाव
आंकड़े सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि समाज के लिए खतरे की घंटी हैं। हर माता-पिता को यह समझना होगा कि बच्चे की असफलता जिंदगी का अंत नहीं, बल्कि आगे बढ़ने का मौका है। करियर, रिश्तों और पारिवारिक कलह को लेकर बातचीत करना जरूरी है।
ये भी पढ़ें: एशिया कप 2025: पाकिस्तान ने ‘करो या मरो’ मैच में श्रीलंका को 5 विकेट से हराया, फाइनल की उम्मीदें बरकरार
श्रेयस अय्यर ने टेस्ट और प्रथम श्रेणी क्रिकेट से मांगा ब्रेक, फिटनेस पर देंगे ध्यान