पठानकोट की बेटी डॉ. नेहा महाजन बनीं आयुर्वेद, मनोविज्ञान और योग की मिसाल

पठानकोट (पंजाब) – स्वास्थ्य जगत में कुछ नाम अपनी बहुआयामी पहचान और योगदान से अलग नजर आते हैं। ऐसा ही एक नाम है *डॉ. नेहा महाजन, जो एक कुशल डॉक्टर, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट और अंतरराष्ट्रीय योग शिक्षिका के रूप में जानी जाती हैं। *11 नवम्बर 1991 को बमियाल, पठानकोट (पंजाब) में जन्मी डॉ. महाजन ने पिछले 15 वर्षों में समर्पित सेवा के माध्यम से हजारों मरीजों और परिवारों का विश्वास जीता है।

डॉ. नेहा महाजन के पिता का नाम रमेश पाल और माता का नाम उर्वशी महाजन है। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा डीएवी पब्लिक स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने श्री लक्ष्मी नारायण आयुर्वेदिक कॉलेज, अमृतसर से बी.ए.एम.एस. (BAMS) की पढ़ाई पूरी की, जो श्री गुरु रविदास आयुर्वेद विश्वविद्यालय, होशियारपुर से संबद्ध है। आगे चलकर उन्होंने इग्नू विश्वविद्यालय, जम्मू से क्लिनिकल साइकोलॉजी में अध्ययन किया। मन-शरीर संतुलन के प्रति अपनी गहरी रुचि के चलते उन्होंने अंतरराष्ट्रीय योग शिक्षिका के रूप में भी पहचान बनाई।

अपने पेशेवर जीवन में डॉ. महाजन ने डायबिटीज, प्रसूति एवं स्त्री रोग (Obstetrics & Gynaecology), शिशु रोग (Paediatrics), हृदय रोग (Cardiology), कैंसर (Oncology), लीवर, किडनी तथा चाइल्ड स्पेशलिस्ट जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण अनुभव हासिल किया है। वे केवल दवाओं के जरिए नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक परामर्श और योग के माध्यम से भी मरीजों की देखभाल करती हैं। यही कारण है कि उन्हें एक भरोसेमंद और संवेदनशील चिकित्सक के रूप में पहचाना जाता है।

व्यक्तिगत जीवन में भी डॉ. महाजन उतनी ही संतुलित और सफल हैं। 26 अक्टूबर 2024 को उनका विवाह अनिल कुमार मलिक से हुआ। यह दंपत्ति एक पुत्र पांशुल मलिक के माता-पिता हैं, जो उनके जीवन की सबसे बड़ी खुशी हैं। अपने व्यस्त पेशेवर जीवन के बावजूद डॉ. महाजन परिवार को सर्वोच्च महत्व देती हैं और अपने माता-पिता तथा पति को अपनी प्रेरणा और सहयोग का श्रेय देती हैं।

अपनी सेवाओं और योगदान के लिए डॉ. महाजन को कई सम्मान और पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं। उनकी खासियत यह है कि वे आयुर्वेद और योग की प्राचीन परंपराओं को आधुनिक क्लिनिकल मनोविज्ञान से जोड़कर एक ऐसा स्वास्थ्य मॉडल प्रस्तुत करती हैं, जो शरीर और मन—दोनों को उपचारित करता है।

सहकर्मी उन्हें दृढ़ निश्चयी और दूरदर्शी बताते हैं, वहीं मरीज अक्सर उनकी संवेदनशीलता और गहरी समझ की सराहना करते हैं। उनका कहना है कि डॉ. नेहा केवल बीमारी का इलाज नहीं करतीं बल्कि रोगी की भावनात्मक स्थिति को भी समझकर उन्हें जीवन जीने का सकारात्मक दृष्टिकोण देती हैं।

आज जब स्वास्थ्य क्षेत्र जटिल चुनौतियों से जूझ रहा है, डॉ. नेहा महाजन का कार्य यह संदेश देता है कि असली उपचार तभी संभव है जब शरीर, मन और आत्मा – तीनों का संतुलन साधा जाए। 15 वर्षों की उनकी उपलब्धियाँ केवल शुरुआत हैं, आने वाले समय में उनका योगदान समाज पर और गहरी छाप छोड़ेगा।

पंजाब के एक छोटे से कस्बे से निकलकर पूरे भारत में प्रेरणा का स्रोत बन चुकीं डॉ. नेहा महाजन की जीवनगाथा समर्पण, संतुलन और सेवा की मिसाल है।

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