‘लाडले’ पर कार्रवाई नहीं करेगा वन विभाग, भ्रष्टाचार के पार्ट 2 का इंतजार

लखनऊ : यूपी के वन विभाग के कर्मचारी राम सकल यादव के खिलाफ जांच रिपोर्ट में दोष सिद्ध हो गया है, बावजूद इसके वह विभाग का ‘लाडला’ है। उस पर तुरंत कार्रवाई करने के बजाय भ्रष्टाचार के पार्ट-2 की जिम्मेदारी दी गई है। सूत्रों की मानें तो उसे आजमगढ़ जनपद में करीब 30 से 40 न्यूनतम वेतनमान श्रमिकों को पात्र घोषित करने का टारगेट दिया गया है। दैनिक भास्कर ने राम सकल के पहले के गुनाहों का पर्दाफाश किया था। जिसमें इस शख्स ने 11 कार्मिकों के साथ मिलकर लाखों रुपये का चूना लगाया था। उस पर आरोप था कि हाईकोर्ट के आदेश को छुपाते हुए 20 साल तक इन कार्मिकों को वेतन, बोनस और पदोन्नति का लाभ दिलाया।

बता दें कि वन विभाग के राम सकल यादव को क्लर्क की जिम्मेदारी दी गई थी, जबकि पद सर्वेयर का है। सूत्रों का कहना है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया। जांच रिपोर्ट में दोष सिद्ध होने के बाद भी राम सकल यादव पर कार्रवाई नहीं हुई और अधिकारियों की मेहरबानी से वह कुर्सी पर जमा हुआ है। ताजा मामले में राम सकल को न्यूनतम वेतन श्रमिकों को पात्र घोषित करने की जिम्मेदारी दी गई, जिसमें लाखों रुपये की वसूली का खेल हो रहा है। बताया जा रहा है कि आजमगढ़ जनपद में करीब 30 से 40 न्यूनतम वेतनमान श्रमिकों को पात्र घोषित करने का जिम्मा उसके पास है, जिससे वह अपनी रिटायरमेंट से पहले बड़ा खेल सके। श्रमिक सूत्रों की मानें तो इस पूरे मामले में प्रति केस एक से डेढ़ लाख रुपए की वसूली की आशंका है। नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर कई श्रमिकों ने बताया कि जल्द उस अधिकारी के नाम का खुलासा होगा, जो इस कारनामे का मास्टरमाइंड है।

विभाग के अधिकारी इस कर्मचारी पर कार्रवाई करने का साहस नहीं कर पा रहे। दैनिक भास्कर में प्रकाशित खबर के बाद प्रधान वन मुख्य संरक्षक सुनील कुमार चौधरी ने कहा कि दोषी पर सख्त और दंडात्मक कार्रवाई होगी। कोई भी बच नहीं सकेगा।

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