
चंडीगढ़ : भिवानी में श्राद्ध अमावस्या पर अत्याधिक रोटी, खीर, पूरी व हलवा खिलाने से सोमवार देर रात तक 48 गाय बीमार पड़ गईं। एक के बाद एक मंगलवार सुबह तक 17 गायों की मौत हो गई। भिवानी में आसपास के क्षेत्र में सोमवार देर रात तक 36 गाय और बवानीखेड़ा में 12 गाय बीमार अवस्था में मिली, जिसमें भिवानी में 13 और बवानीखेड़ा में 4 सहित कुल मिलाकर 17 गायों की मौत हो चुकी थी। इस बार सबसे अधिक चिंता का विषय का यह रहा कि ग्रामीण क्षेत्र से भी भारी तादात में बीमार व मृत गाय की सूचनाएं आई।
गौरक्षा दल भिवानी के प्रधान संजय परमार ने बताया कि श्राद्ध की अमावस्या पर गौवंश को काल का ग्रास बनने से बचाने के लिए हर वर्ष की भांति इस बार भी अमावस्या से काफी दिनों पहले से गौरक्षा दल भिवानी और प्रशासन द्वारा जागरूकता अभियान चलाया गया था, जिसके माध्यम से लोगों को बताया गया कि उनके द्वारा अमावस को सड़क पर खड़ी गाय को दी गई दो रोटी भी उनके मौत का कारण बन सकती है। यही नहीं 500 गौरक्षक व 6 एंबुलेंस लोगों को जागरूक करने व बीमार गोवंश के उपचार के लिए दिन-रात कार्य में लगे रहे। एक एंबुलेंस गोकुलधाम झज्जर से सुनील निमाणा, एक एंबुलेंस जुई से आशीष अग्रवाल, एक एंबुलेंस लोहानी से कैलाश जांगड़ा, एक एंबुलेंस लोहानी से संदीप कुमार, एक एंबुलेंस नवा की ढ़ाणी से कृष्ण कुमार, एक एंबुलेंस भिवानी नगर परिषद तथा एक गौरक्षा दल की एंबुलेंस सेवा कार्य में जुटी रही। लेकिन इस जागरूकता अभियान बावजूद भी लोगों में अंधविश्वास व अज्ञानता इतनी हावी था कि वह लोग समझ ही नहीं पाए कि उनके द्वारा दी गई दो रोटियां ही उनकी मौत का कारण बनेंगी।
संजय परमार ने बताया कि गौरक्षा दल भिवानी द्वारा अमावस्या अमावस जागरण अभियान चलाने के साथ-साथ उपायुक्त के माध्यम से अमावस्या के दिन रोड पर खड़े हुए गौवंश को गोग्रास देने देना प्रतिबंधित भी करवाया गया था। उन्होंने कहा कि बीमार पशुओं के इलाज में पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डा. रविंद्र सहरावत के नेतृत्व में पशु चिकित्सकों और उनके सहायकों की पूरी टीम 24 घंटे के लिए पिछले तीन दिन से तैनात रही, जिन्होंने अपने भरसक और अनथक प्रयास के दम पर कुल 48 बीमार गायों में से 31 गायों की जान बचाई थी। परमार ने प्रशासन से भी अपील की है कि भविष्य में ऐसे आयोजनों पर विशेष निगरानी रखी, ताकि श्रद्धा के नाम पर कोई भी निर्दोष पशु अपनी जान न गंवाए।