आज़म ख़ान की रिहाई पर गरमाई सियासत – पूर्व सपा सांसद एसटी हसन का तीखा हमला, कहा दिल नहीं चाहता मिलने का, हालात के ज़िम्मेदार वही हैं

मुरादाबाद: समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और संस्थापक सदस्य आज़म ख़ान की सीतापुर जेल से रिहाई के बाद रामपुर और मुरादाबाद में जश्न का माहौल है। वहीं, इस खुशी के बीच पार्टी के भीतर की दरारें भी खुलकर सामने आने लगी हैं। मुरादाबाद से पूर्व सपा सांसद डॉ. एसटी हसन ने आज़म ख़ान पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने न केवल उनके बसपा में जाने की चर्चा को बेबुनियाद बताया बल्कि यह भी कहा कि उनका मन अब आज़म ख़ान से मिलने का नहीं करता।

फ़र्ज़ी मुकदमों में फंसाए गए थे आज़म ख़ान
एसटी हसन ने माना कि आज़म ख़ान के खिलाफ चल रहे मामले राजनीतिक साज़िश का हिस्सा थे। उन्होंने कहा कि आज़म साहब सपा के संस्थापक सदस्य हैं और उन्हें फ़र्ज़ी मुकदमों में फंसाया गया। उन्होंने कहा कि उनकी रिहाई से पार्टी और मज़बूत होगी।

बसपा में शामिल होने की अटकलों पर साफ़ जवाब
जब मीडिया ने पूछा कि क्या आज़म ख़ान बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का दामन थाम सकते हैं, तो एसटी हसन ने सिरे से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा, आज़म साहब पैदाइशी समाजवादी हैं। उन्होंने इस पार्टी को खून-पसीने से सींचा है। ऐसे में पार्टी छोड़ना संभव ही नहीं है।

थोड़ा बहुत नुकसान होगा, पर फर्क नहीं पड़ेगा
संभावित नुकसान के सवाल पर उन्होंने कहा, अगर वह अलग भी होते, तो थोड़ा बहुत नुकसान होता, लेकिन कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ता। समाजवादी पार्टी से लोग वैसे ही जुड़े हुए हैं जैसे पहले थे। मुसलमान किसी एक नेता की वजह से सपा से जुड़े नहीं हैं।

दिल नहीं चाहता मिलने का – निजी नाराज़गी भी सामने
जब उनसे पूछा गया कि क्या वह आज़म ख़ान से मिलने जाएंगे, तो एसटी हसन ने तल्खी से कहा, पूरा मीडिया मुझे हफ़्तों चलाता रहा। सब जानते हैं कि जो हालात मेरे साथ गुज़रे, उसकी वजह वही (आज़म ख़ान) थे। मेरा दिल नहीं चाहता कि मैं उनसे मिलूं। हां, अगर उनका हुक्म हुआ तो मैं जाऊंगा।

दरार की असली वजह – टिकट विवाद
लोकसभा चुनाव 2024 में यह विवाद खुलकर सामने आया था कि एसटी हसन का टिकट काटकर आज़म ख़ान के दबाव पर रुचि वीरा को टिकट दिया गया। उसी समय से दोनों नेताओं के रिश्ते बिगड़ गए और एसटी हसन को पार्टी में साइडलाइन कर दिया गया। यही वजह है कि आज़म ख़ान की रिहाई पर भी एसटी हसन ने समर्थन और नाराज़गी, दोनों का मिला-जुला बयान दिया।

यह बयान अब मुरादाबाद और रामपुर की राजनीति को और गर्माने वाला है। पार्टी हाईकमान पर भी दबाव बढ़ सकता है कि दोनों नेताओं के बीच की खाई कैसे भरी जाए।

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