Jhansi : जिलाधिकारी ने किया औचक निरीक्षण, खाद-उर्वरक वितरण व्यवस्था की गुणवत्ता और पारदर्शिता पर दिए कड़े निर्देश

Jhansi : किसानों को समय पर और सही मूल्य पर खाद-उर्वरक उपलब्ध कराने की पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सोमवार को जिलाधिकारी श्री मृदुल चौधरी ने औचक निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। उन्होंने विकास खण्ड बबीना स्थित राजापुर बहुद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समिति (बी-पैक्स) एवं पी.सी.एफ. वेयरहाउस का स्थलीय निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने किसानों से संवाद स्थापित करते हुए भरोसा दिलाया कि जनपद में खाद-उर्वरक की कोई कमी नहीं है और पर्याप्त मात्रा में स्टॉक उपलब्ध है।

किसानों को मिली राहत, कालाबाजारी व ओवररेटिंग पर जीरो टॉलरेंस

निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने किसानों से सीधे संवाद कर उनकी खाद-उर्वरक की उपलब्धता और दरों के बारे में जानकारी ली। कतार में खड़े किसानों ने बताया कि उन्हें डीएपी और यूरिया प्राप्त करने में कोई दिक्कत नहीं हो रही है। इस पर जिलाधिकारी ने स्पष्ट निर्देश दिए कि ओवररेटिंग या कालाबाजारी की शिकायत मिलने पर संबंधित विक्रेता के विरुद्ध तुरंत कड़ी कार्रवाई की जाएगी और उसका लाइसेंस निरस्त किया जाएगा।

उन्होंने किसानों को यह भी कहा कि अनावश्यक रूप से उर्वरक का स्टॉक न करें, क्योंकि पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध है।

रजिस्टरों का मिलान और मौके पर तुलाई

जिलाधिकारी श्री चौधरी ने सहकारी समिति के स्टॉक रजिस्टर और वितरण रजिस्टर का बारीकी से मिलान किया। मौके पर उन्होंने खाद की बोरियों की रैंडम तुलाई भी कराई और निर्देश दिए कि सभी विक्रेता बोरियों का भार समय-समय पर जांचते रहें ताकि किसानों को किसी प्रकार की ठगी का सामना न करना पड़े।

पीसीएफ वेयरहाउस में उन्होंने डीएपी, यूरिया और नैनो यूरिया/डीएपी की गुणवत्ता, प्रेषण और भंडारण व्यवस्था की भी जांच की। कृभको द्वारा भेजी गई डीएपी के सैम्पल देखे गए। जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि हर खेप का रैंडम सैम्पलिंग कर गुणवत्ता जांच अनिवार्य होगी।

खतौनी और किसान सत्यापन अनिवार्य

निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने सख्त निर्देश दिए कि बिना खतौनी प्राप्त किए किसी भी किसान को खाद-उर्वरक नहीं दिया जाएगा। साथ ही किसानों का सत्यापन कर ही वितरण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जनपद में शत-प्रतिशत उर्वरक वितरण पीओएस मशीनों के माध्यम से ही होना चाहिए, ताकि पारदर्शिता बनी रहे और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी रोकी जा सके।

नैनो डीएपी और यूरिया पर जोर

जिलाधिकारी ने किसानों को नैनो डीएपी और नैनो यूरिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह उर्वरक ईको-फ्रेंडली है, कीमत पारंपरिक बोरी वाले उर्वरकों की तुलना में कम है और फसल की उपज पर इसका प्रभाव अधिक सकारात्मक पाया गया है। कई किसानों ने बताया कि उन्होंने पहले भी नैनो उर्वरक का प्रयोग किया है और उन्हें अधिक लाभ मिला है।

उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 का पालन अनिवार्य

जिलाधिकारी ने कहा कि कई बिक्री केंद्रों पर रेट बोर्ड पर मूल्य और उपलब्ध स्टॉक का विवरण स्पष्ट रूप से अंकित नहीं होता, जबकि उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 की धारा-4 के अनुसार यह अनिवार्य है। इसे गंभीर उल्लंघन मानते हुए उन्होंने चेतावनी दी कि सभी विक्रेता तत्काल इस व्यवस्था का पालन करें, अन्यथा कठोर कार्यवाही की जाएगी।

आपूर्ति में विलंब का समाधान

निरीक्षण के दौरान जिला प्रबंधक पीसीएफ ने बताया कि को-ऑपरेटिव बैंक द्वारा आरटीजीएस में दो दिन का समय लिया जा रहा है, जिससे मांग और आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। इस पर जिलाधिकारी ने अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व को आवश्यक समाधान कराने के निर्देश दिए।

किसानों और अधिकारियों की मौजूदगी

निरीक्षण के मौके पर किसानों की भारी भीड़ मौजूद रही। किसानों ने जिलाधिकारी से अपनी समस्याएं साझा कीं और बताया कि वर्तमान में उन्हें खाद-उर्वरक उपलब्धता में कोई विशेष परेशानी नहीं है।

अधिकारियों में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट श्री जी अक्षय दीपक, अपर जिलाधिकारी (वि./रा.) श्री वरुण पाण्डेय, जिला कृषि अधिकारी श्री कुलदीप मिश्रा, जिला प्रबंधक पीसीएफ श्री धनंजय तिवारी सहित बड़ी संख्या में किसान और अधिकारी मौजूद रहे।

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