
Sambhal : जिले के गवां कस्बे में झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही से नवजात शिशु की मौत हो गई। घटना से गुस्साए परिजनों और ग्रामीणों ने नवजात के शव को सड़क पर रखकर जाम लगाया और पुलिस-प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शन के चलते घंटों तक अफरातफरी का माहौल बना रहा।
गांव रजावली निवासी अनिल कुमार के ढाई महीने के पुत्र अयांश को बुखार आने पर परिजन गवां में डॉ. इमामुद्दीन के अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टर के गलत उपचार से नवजात बच्चे के शरीर में संक्रमण हो गया। हालत बिगड़ने पर परिजन बच्चे को मुरादाबाद और दिल्ली ले गए, जहां बच्चे की मौत हो गई।
ग्रामीणों का आरोप है कि कस्बे के झोलाछाप डॉक्टर इमामुद्दीन की गलत दवा और लापरवाही के कारण नवजात ने दम तोड़ दिया। परिजनों का कहना है कि पांच दिन पहले ही इस अस्पताल और डॉक्टर की मनमानी के खिलाफ थाने में लिखित शिकायत दी गई थी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। शिकायत को नजरअंदाज करने का खामियाजा एक मासूम की जान देकर भुगतना पड़ा।
गुस्साए ग्रामीणों ने कहा कि प्रशासन और पुलिस की लापरवाही ने झोलाछाप डॉक्टरों को खुली छूट दे रखी है। पिछले दिनों अवैध रूप से संचालित अस्पतालों और झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई का अभियान चलाया गया था, लेकिन इमामुद्दीन का अस्पताल बिना किसी रोक-टोक के चलता रहा।
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की मिलीभगत से ऐसे फर्जी अस्पताल खुलेआम फल-फूल रहे हैं। ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि अगर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलन को और उग्र रूप दिया जाएगा।
सूचना पाकर थाना प्रभारी निशांत राठी और चौकी इंचार्ज विनोद कुमार सहित पुलिस प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे और किसी तरह आक्रोशित ग्रामीणों को शांत कराया। अधिकारियों ने जांच कर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया, तब जाकर ग्रामीण माने और जाम समाप्त हुआ।
इस घटना ने एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल दी है और यह बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर कब तक झोलाछाप डॉक्टर आम लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करते रहेंगे।