
Banda : शारदीय नवरात्र आरंभ होते ही पूरा शहर दुर्गामय हो गया। नवदुर्गा के पहले दिन सुबह पौ फटते ही प्रमुख देवी मंदिरों के घंटे घनघना उठे। जलाभिषेक और दर्शन के लिए ऐसी भीड़ उमड़ी कि तिल रखने की जगह नहीं बची। मंदिरों के बाहर भी श्रद्धालुओं की कतारें लगी रहीं। भक्तों ने मां जगदंबे के शैलपुत्री स्वरूप की आराधना कर सुख-समृद्धि का वरदान मांगा। जनसैलाब को संभालने में मंदिर कमेटी के स्वयंसेवकों और पुलिसकर्मियों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
मां के भक्तों को नवरात्र में मां की साधना और उपासना के लिए पूरे वर्ष प्रतीक्षा रहती है। सोमवार को जब वह घड़ी आई तो देवी भक्तों के कदम मां जगदंबे के दरबार की ओर चल पड़े। शहर के महेश्वरी देवी मंदिर में नवरात्र की पहली सुबह की प्रथम आरती में शामिल होने और जलाभिषेक के लिए महिलाओं में होड़ लगी रही। देवी मंदिर के पट खुलने से पहले ही सैकड़ों महिलाएं कलश लिए जलाभिषेक और दर्शन के लिए प्रतीक्षा करती रहीं। सुबह चार बजे जैसे ही पट खुले, महिलाएं जलाभिषेक को दौड़ पड़ीं। पौ फटते ही मंदिर के घंटे घनघना उठे और फिर ऐसा जनसैलाब उमड़ा कि मंदिर में तिल रखने को भी जगह नहीं रही। दोपहर तक मंदिर के भीतर से लेकर बाहर तक भक्तों की कतारें लगी रहीं। भीड़ को संभालने के लिए मंदिर कमेटी के स्वयंसेवकों और तैनात महिला-पुरुष पुलिसकर्मियों को खासी मशक्कत करनी पड़ी।
उधर काली देवी मंदिर, चौंसठ जोगिनी मंदिर, सिंहवाहिनी मंदिर, कालका देवी, महामाई और मरही माता मंदिर में भी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। गिरवां खत्री पहाड़ में विराजी मां विंध्यवासिनी के दरबार में भी प्रथम दिन सुबह से शाम तक भक्तों का तांता लगा रहा। बड़ी संख्या में भक्त नंगे पांव चलकर पहाड़ पर मां के दर्शन करने पहुंचे और मान्यता पूरी करने के लिए हाथा लगाए। मां को नारियल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची और लाल झंडा अर्पित किया। वहीं, नौ दिनों तक चलने वाले मेले में पूजा-अर्चना के साथ लोगों ने खूब खरीदारी भी की।
मां के भक्तों ने नौ दिनों के व्रत की शुरुआत की और शुभ मुहूर्त के अनुसार घरों पर घट स्थापना कर कलश के इर्द-गिर्द मां के नाम से जवारे बोए। भक्तों ने मनचाहा वरदान पाने के लिए दुर्गा सप्तशती के तेरह अध्यायों का पाठ किया। घरों में व्रत रखकर मां की आराधना करने वाले भक्तों ने भी विधिविधान से हवन-पूजन किया।
देवी पंडालों में प्रतिमाओं की स्थापना
दुर्गा पंडालों में भी मुहूर्त के अनुसार मंत्रोच्चारण के साथ प्रतिमाओं की स्थापना की गई। आयोजकों ने विश्वशांति की कामना से दुर्गा सप्तशती के श्लोकों का उच्चारण करते हुए हवन में आहुतियां दीं। बाद में प्रसाद भी वितरित किया गया। हालांकि, मूर्ति कला केंद्रों से मां की प्रतिमाएं आने में देरी होने के कारण अधिकांश पंडालों में मुहूर्त के बाद ही बैठकी हो पाई। प्रथम दिन शाम को भी ज्यादातर मां की झांकियां हल्की सजावट के साथ देर से खुलीं। मां की आरती के दौरान झांकियों के बाहर भारी भीड़ उमड़ी रही। श्रद्धालुओं ने शहर का भ्रमण कर जगह-जगह सजी मां की झांकियों का भी दर्शन किया।
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