सिंधिया संपत्ति विवाद : ग्वालियर हाईकोर्ट ने परिवार को आपसी सहमति से मामला निपटाने के लिए दिए 90 दिन का समय

ग्वालियर। सिंधिया राजवंश में लगभग दो दशक से चली आ रही करीब 40 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति को लेकर चल रही झगड़े को लेकर हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। ग्वालियर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने विवाद सुलझाने के लिए परिवार के सभी सदस्यों को आपसी सहमति बनाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह तय किया कि परिवार को 90 दिनों के भीतर अपनी सहमति का दस्तावेज कोर्ट में जमा करना होगा।

दो दशक पुराना विवाद
मामला शुरू हुआ था सिंधिया परिवार के तत्कालीन महाराज माधवराव सिंधिया और उनकी बहनों वसुंधरा राजे, यशोधरा राजे और उषा राजे के बीच पैतृक संपत्ति को लेकर। माधवराव सिंधिया के निधन के बाद 2010 में उनकी तीनों बहनों ने जिला कोर्ट में भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ परिवाद दायर कर पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी की मांग की थी।

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कोर्ट में अपने पक्ष का दावा पेश किया। लंबी सुनवाई के बाद यह मामला 2017 में ग्वालियर हाईकोर्ट तक पहुंचा, लेकिन तब तक कोई निर्णायक फैसला नहीं आया।

कोर्ट की सलाह
हाल ही में हाईकोर्ट की एकल पीठ ने कहा कि यह विवाद पारिवारिक स्तर पर बातचीत से सुलझाया जाना चाहिए। उषा राजे, वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे के वकील चैन सिंह ने बताया कि कोर्ट ने सभी पक्षों को 90 दिन के भीतर सहमति पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है।

संपत्ति का ब्यौरा
सिंधिया परिवार की कुल संपत्ति लगभग 40 हजार करोड़ रुपए मानी जा रही है। इसमें शामिल हैं:

  • ग्वालियर में ज्योतिरादित्य सिंधिया का राजमहल (लगभग 40 एकड़)
  • महाराष्ट्र के लिंबन (53 एकड़) और श्रीगोंडा (17 एकड़) में जमीन
  • रानी महल, हिरणवन कोठी, रैकिट कोर्ट, शांति निकेतन, छोटी विश्रांति, विजय भवन, पिकनिक स्पॉट, बूट बंगला, रेलवे कैरिज घंटी घर, इलेक्ट्रिक पॉवर हाउस, रोशनी घर
  • मुंबई में दो घर
  • पिता की बीएमडब्ल्यू विंटेज कार


दोनों पक्षों ने कोर्ट की सलाह के अनुसार आपसी सहमति बनाने पर सहमति जताई है। यदि 90 दिनों में सहमति पत्र जमा हो जाता है, तो यह लंबित संपत्ति विवाद आखिरकार सुलझ सकता है।

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