राजस्थान हाईकोर्ट ने UDH में बिजली इंजीनियर नियुक्तियों पर अपनाया सख्त रुख

जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने नगरीय विकास विभाग (UDH) में बिजली कंपनियों के इंजीनियरों की नियुक्तियों पर गंभीर रुख अपनाया है। पब्लिक अगेंस्ट करप्शन संस्था द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की खंडपीठ ने UDH सचिव, राज्य की पांचों बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशकों सहित 31 अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

अदालत ने पूछा कि बिजली कंपनियों के कनिष्ठ अभियंताओं (Electrical JENs) को सीधे यूडीएच विभाग में किस नियम और प्रक्रिया के तहत नियुक्त किया गया। कोर्ट ने साफ कहा कि यदि अगली सुनवाई तक सचिव की ओर से शपथ-पत्र दाखिल नहीं किया गया, तो उन्हें व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होकर जवाब देना होगा।

याचिकाकर्ता संस्था के अधिवक्ताओं पूनम चंद भंडारी और डॉ. टी.एन. शर्मा ने दलील दी कि यह नियुक्तियां राजस्थान सेवा नियमों और RAPSAR एक्ट का उल्लंघन हैं। उनके अनुसार, किसी बोर्ड या निगम से सीधे सरकारी विभाग में समायोजन (Absorption) का कोई वैधानिक प्रावधान नहीं है। केवल “Surplus” की स्थिति में ही अंतर-निगम नियुक्तियां संभव हैं।

याचिकाकर्ताओं ने इन नियुक्तियों को “सरकार में पिछले दरवाजे से भर्ती” बताते हुए आरोप लगाया कि न तो कोई परीक्षा आयोजित की गई और न ही आरक्षण नीति का पालन किया गया। उन्होंने इसे सुनियोजित भ्रष्टाचार करार देते हुए कहा कि मलाईदार विभागों में नियमों को दरकिनार कर मनचाहे लोगों को समायोजित किया गया।

कोर्ट ने UDH सचिव को निर्देश दिया है कि सभी 31 अधिकारियों को नोटिस की तामील करवाई जाए और अतिरिक्त महाधिवक्ता मनोज शर्मा को याचिका की प्रति सौंपी जाए।

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