
Trump Angry at Netanyahu: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ बढ़ती नाराजगी जता रहे हैं. वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने अपने सलाहकारों को बताया कि नेतन्याहू उनकी इच्छाओं की अनदेखी कर सैन्य कार्रवाई को प्राथमिकता दे रहे हैं, जबकि राष्ट्रपति शांति वार्ता और सीजफायर पर जोर दे रहे हैं.
विशेषज्ञों के मुताबिक, ट्रंप की यह नाराजगी इस बात से बढ़ी कि इजरायल ने कतर में हमास के वार्ताकारों पर हमला कर दिया. ट्रंप ने वरिष्ठ अधिकारियों, जिनमें विदेश सचिव मार्को रूबियो भी शामिल थे, को बताया, ‘ही इज फ** मी’ जो उनकी गहरी असंतुष्टि को दर्शाता है.
नेतन्याहू का हमास को हथियार छोड़ने के लिए दबाव
ट्रंप के अनुसार, नेतन्याहू हमास को हथियार छोड़ने के लिए दबाव बनाने के लिए बल का उपयोग करना पसंद करते हैं, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति शांति समझौते की ओर बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं. कतर स्ट्राइक के बाद उनकी नाराजगी और बढ़ गई, लेकिन इसके बावजूद ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से इजरायल पर दबाव नहीं डाला और न ही अमेरिकी सैन्य और कूटनीतिक सहायता को इस पर टिका.
इजरायली प्रधानमंत्रियों के पूर्व सलाहकार शालोम लिप्नर ने बताया, “नेतन्याहू के कदमों ने क्षेत्र में अन्य अमेरिकी सहयोगियों के साथ ट्रम्प के लिए परेशानी पैदा कर दी है और अब्राहम समझौते के विस्तार को बेहद कठिन बना दिया है.”
ट्रंप और नेतन्याहू का रिश्ता
हालांकि ट्रंप नेतन्याहू की हरकतों से निजी तौर पर नाराज हैं, लेकिन दोनों नेताओं के बीच संबंध अब भी मजबूत हैं. ओमर डोस्त्री, नेतन्याहू के पूर्व प्रवक्ता ने इसे “बहुत, बहुत घनिष्ठ” बताया.
ट्रंप ने हमास को बार-बार चेतावनी दी है कि यदि वह इजरायल की मांगों का विरोध करता है तो उसे और हिंसा का सामना करना पड़ेगा. वहीं नेतन्याहू का कहना है कि यह युद्ध केवल तब समाप्त होगा जब हमास हथियार छोड़ देगा, बंधकों को रिहा करेगा और इसके नेताओं का गाजा से बाहर जाना सुनिश्चित होगा.
कतर स्ट्राइक पर ट्रंप की प्रतिक्रिया
कतर में हुई हमास वार्ताकारों की हत्या के बाद ट्रंप ने नेतन्याहू को दो फोन किए: एक में नाराजगी जताई और दूसरे में अधिक सौहार्दपूर्ण तरीके से ऑपरेशन के नतीजों के बारे में पूछा. ट्रंप ने बाद में कतर को “मजबूत सहयोगी” बताते हुए अमेरिकी सैनिकों की मेजबानी और मध्यस्थता की तारीफ की.
माइकल ओरेन, वॉशिंगटन के पूर्व इजरायली राजदूत, ने कहा, “संभावना यह है कि अगर दोहा में हमारा ऑपरेशन सफल होता, तो ट्रंप इसकी निंदा नहीं करते, बल्कि इसका श्रेय लेते. उन्हें विजेता पसंद हैं.”
नेतन्याहू की रणनीति
डेमियन मर्फी, सेनेट फॉरेन रिलेशंस कमेटी के पूर्व स्टाफ डायरेक्टर, ने कहा कि नेतन्याहू जानते हैं कि व्हाइट हाउस भले ही गुस्सा जताए, उनके लिए ‘अस्क फॉरगिवनेस, नॉट परमिशन’ अप्रोच में कोई नुकसान नहीं है.
ट्रंप, जो अगले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र महासभा में संबोधन देंगे, अब भी अब्राहम एग्रीमेंट में अपनी भूमिका का हवाला देते हैं और इजरायल और सऊदी अरब के बीच सामान्यीकरण समझौते की ओर देख रहे हैं. इजरायली अधिकारियों का कहना है कि अमेरिका के साथ संबंध अब भी शानदार हैं और खींचतान की रिपोर्ट्स को “फेक न्यूज” बताया है.