
शिमला। हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों में बारिश कहर बरपा रही है। किन्नौर जिले के निगुलसरी के पास थाच गांव में देर रात 12:10 बजे बादल फटने की घटना से भारी तबाही हुई। अचानक आई बाढ़ से ग्रामीणों की उपजाऊ जमीन और बगीचों को भारी नुकसान पहुंचा। लोग अपनी जान बचाने के लिए जंगल की ओर भागे। बाढ़ का मलबा एनएच-5 पर आ जाने से किन्नौर जिले का सड़क संपर्क पूरी तरह कट गया। तीन नालों में आए उफान ने खेतों और बगीचों को तबाह कर दिया, जबकि दो गाड़ियां बह गईं। मस्तान की दोगरी और गांव में एक मकान बाढ़ की चपेट में आया, जिससे तीन घर खतरे की जद में हैं।
शिमला जिले में भी बारिश का कहर जारी है। राजधानी शिमला के हिमलैंड में सर्कुलर रोड पर देर रात 2:00 बजे भारी भूस्खलन हुआ। घटना में एक भवन को खतरा पैदा हो गया, जिसे एहतियातन खाली करा लिया गया। सड़क बंद होने से आवागमन बाधित हो गया है। स्कूली बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए उपायुक्त शिमला ने सेंट एडवर्ड स्कूल को 19 और 20 सितंबर को बंद रखने के आदेश दिए हैं। हालांकि कक्षाएं ऑनलाइन माध्यम से जारी रहेंगी। सड़क बंद होने के कारण लोगों को पैदल ही अपने कार्यस्थलों तक पहुंचना पड़ा। मरीजों और तीमारदारों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। सड़क बहाली का काम जारी है।
प्रदेश में भूस्खलन से हालात और बिगड़ गए हैं। शुक्रवार सुबह 10 बजे तक तीन नेशनल हाईवे समेत 555 सड़कें बंद रहीं। 162 बिजली ट्रांसफार्मर और 197 पेयजल योजनाएं प्रभावित हैं। कुल्लू में 202, मंडी में 158, शिमला में 50, कांगड़ा में 40, सिरमौर और चंबा में 24-24 सड़कें बंद हैं। सबसे ज्यादा 126 पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं।
मानसून सीजन में भारी जन-धन का नुकसान हुआ है। 20 जून से 18 सितंबर तक प्रदेश में 424 लोगों की मौत हुई है, जिनमें 182 सड़क हादसों में मारे गए। 481 लोग घायल और 45 अब भी लापता हैं। अब तक 4,74,993.36 लाख रुपये की संपत्ति का नुकसान हो चुका है। 632 पक्के और 972 कच्चे मकान पूरी तरह ढह गए, जबकि 2,258 पक्के और 4,767 कच्चे मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। 585 दुकानें और 6,815 गोशालाएं भी नष्ट हो चुकी हैं। 2,458 मवेशियों की मौत हो चुकी है।