
- काकोरी ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार का ‘कैंसर’
Sitapur : मुख्यमंत्री की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को ठेंगा दिखाते हुए सीतापुर के मछरेहटा विकासखंड की ग्राम पंचायत काकोरी में पसरे भ्रष्टाचार का ‘मकड़जाल’ लगातार गहराता जा रहा है। आश्चर्यजनक रूप से, कई माह बीत जाने के बावजूद भी यहां हुए लाखों के घोटाले की जांच ठंडे बस्ते में पड़ी है, जबकि शिकायतकर्ता सरकारी दफ्तरों के अनवरत चक्कर लगाने को मजबूर है और उसे न्याय की ‘एक किरण’ भी नहीं दिख रही है। वहीं, दूसरी ओर, भ्रष्टाचार के ‘आकंठा’ में डूबे ग्राम प्रधान व ग्राम सचिव के हौसले पूरी तरह से बुलंद हैं।
इंसाफ का इंतजार, सवालों के कटघरे में व्यवस्था
ग्राम पंचायत काकोरी के निवासी रवी प्रकाश सिंह ने शपथ पत्र के माध्यम से जिलाधिकारी को संबोधित करते हुए ग्राम प्रधान किरन देवी और ग्राम सचिव पर गंभीर आरोप लगाए थे। इसमें नल मरम्मत, रिबोर और आंगनबाड़ी केंद्र निर्माण में लाखों के हेरफेर का खुलासा किया गया था। आरोप है कि नल मरम्मत के नाम पर 14 लाख से अधिक की धनराशि निकाली गई, जबकि मौके पर कार्य न के बराबर हुआ। इसके अलावा, प्रधान द्वारा स्वयं अपने खाते में भी नियमों के विपरीत लाखों का भुगतान करवाने का खुलासा हुआ था। मनरेगा योजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्र निर्माण में भी महिला श्रमिकों के नाम पर फर्जी पुरुष मजदूरों को शामिल करने का आरोप है।

प्रारंभिक जांच में अनियमितताएं मिलने के बाद भी, शिकायतकर्ता को लगातार सरकारी मुलाजिमों के दफ्तरों की धूल फांकनी पड़ रही है, लेकिन जांच की गति ‘कछुआ चाल’ से भी धीमी है। यह स्थिति न्यायपालिका और कार्यपालिका की जवाबदेही पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है। क्या मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार विरोधी नीति केवल कागजों तक ही सीमित रह गई है, या फिर काकोरी के भ्रष्टाचारियों को संरक्षण मिल रहा है, यह एक बड़ा सवाल है, जिसका जवाब जनता जानना चाहती है।
व्यवस्था पर भारी पड़ते भ्रष्टाचारी?
एक ओर जहाँ शिकायतकर्ता रवि प्रकाश सिंह इंसाफ की गुहार लगा रहा है, वहीं दूसरी ओर, कथित भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद हैं। यह दर्शाता है कि भ्रष्टाचार के इस ‘दंश’ से ग्राम पंचायत काकोरी ‘आकंठ’ में डूबी हुई है और इससे बाहर निकालने के लिए एक मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की नितांत आवश्यकता है। जब तक भ्रष्टाचारियों पर नकेल नहीं कसी जाती और उन्हें उनके किए की सजा नहीं मिलती, तब तक आम जनता का व्यवस्था पर से विश्वास उठना तय है। हालांकि इस मामले में बीडीओ मछरेहटा ने दो नोटिस जारी किए हैं लेकिन अभी तक कोई कड़ी कार्रवाई ना होने से न्याय पर प्रश्नचिन्ह उठना लाजिमी है।