भाजपा सरकार में शिक्षकों ने बेसिक को आसमान पर पहुंचाया, फिर क्यों नहीं सुरक्षित… पीएसपीएसए ने पूछा सवाल

  • प्रत्येक बिंदु पर हुई चर्चा, पीड़ा बताकर की सरकार से उम्मीद, शिक्षामंत्री करेंगे मुख्यमंत्री से वार्ता; टीईटी की अनिवार्यता से राहत मिलने की दिखी उम्मीद

Unnao : अनुभव और योग्यता के आधार पर ही शिक्षकों ने बेसिक शिक्षा को नई ऊँचाइयों तक पहुंचाया है। शिक्षकों ने अतिरिक्त डेटा फीडिंग, नवाचारी गतिविधियों और शैक्षिक गुणवत्ता हेतु हर आदेश का पालन किया है। खेलों से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं और अनेक कार्यक्रमों में परिषदीय छात्र कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। अब जाकर परिषद की सूरत चमकती दिखाई दे रही है, फिर अचानक उन शिक्षकों की योग्यता पर शक क्यों, जिन्होंने अपना जीवन बेसिक शिक्षा को समर्पित कर दिया? यह बातें प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष संजीव संखवार ने बेसिक शिक्षामंत्री संदीप सिंह से कहीं।

जिला एवं मांडलिक मंत्री प्रदीप कुमार वर्मा ने सैकड़ों उदाहरण देकर कहा कि शिक्षकों की योग्यता पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। उन्होंने पूछा कि आठ से दस साल पहले टीईटी की अनिवार्यता को लेकर बने कानून को शिक्षकों से क्यों छिपाया गया, जिसकी भनक तक उन्हें नहीं लगने दी गई। प्रदीप ने टीईटी की अहर्ता से जुड़ी कमियों के साथ ही गत तीन दिनों में हुई चार मौतों पर मंत्री के समक्ष चिंता जाहिर की। प्रत्येक बिंदु पर वार्ता कर उचित हल निकालने की बात कही गई।

कन्नौज जिलाध्यक्ष रजत परिहार ने कोर्ट के उस आदेश का उल्लेख किया, जिसमें टीईटी उत्तीर्ण न कर पाने पर 56 वर्ष की आयु वाले को मात्र 2 वर्ष और 57 वर्ष की आयु वाले को 5 वर्ष नौकरी मिलने की बात कही गई है। इसे उन्होंने प्रतिकूल स्थिति बताते हुए किसी भी शिक्षक की सेवा समाप्त न करने की मांग की। शिवदर्शन ने आदेश को झकझोर देने वाला बताते हुए कहा कि इस उम्र में शिक्षण कार्य आसान है, लेकिन प्रतियोगी परीक्षाओं की बाध्यता विपरीत असर डालेगी। अनिवार्यता हटाने समेत विभिन्न मांगों पर सहमति के लिए चार जिलों से पहुंचे पदाधिकारियों ने बेसिक शिक्षा मंत्री को ज्ञापन सौंपा।

घंटे भर चली वार्ता के दौरान शिक्षकों ने आदेश को लेकर कई सवाल पूछे। जवाब में बेसिक शिक्षा मंत्री ने शिक्षकों की मेहनत और उच्च गुणवत्ता की सराहना की तथा शिक्षा के उन्नयन पर उनकी भूमिका को स्वीकार किया। कोर्ट के आदेश को पहले तो उन्होंने पूरे देश में लागू होने वाला बताया, किंतु पीएसपीएसए उन्नाव, कन्नौज और कानपुर के पदाधिकारियों से गंभीरता से विचार करने को भी कहा। उन्होंने जल्द ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर पूरी चर्चा करने का आश्वासन दिया।

संगठन ने विशिष्ट बीटीसी, बीपीएड और इंटर पास नियुक्त शिक्षकों की परीक्षा को लेकर भी प्रश्न उठाया, क्योंकि टीईटी के लिए आवश्यक योग्यताओं में इन्हें शामिल करना जटिल है। इस पर मंत्री ने शिक्षकों का पक्ष लेते हुए कोर्ट के आदेश पर विस्तृत विश्लेषण की बात कही। पूर्व से नियुक्त शिक्षकों पर आए आदेश को लेकर वे भी चिंतित नजर आए। संदीप सिंह ने कहा कि सरकार अधिक बार परीक्षा आयोजन और विभागीय वेटेज देने के तरीके खोजेगी, हालांकि शिक्षक संगठन इस पर असंतुष्ट रहा।

शिक्षकों ने समाधान न मिलने पर अनिश्चितकालीन धरना और आंदोलन की चेतावनी दी। वार्ता के दौरान संजीव, रजत, प्रदीप, शिव, उमेश, अनिल और आदित्य मौजूद रहे। संजीव और प्रदीप ने कहा कि सरकार को उन लाखों परिवारों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होने से रोकने के लिए ठोस प्रयास करने होंगे। साथ ही शिक्षामंत्री से गुजारिश की कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर शिक्षकों का पक्ष मजबूती से रखे।

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