प्रियांक खरगे ने बताया क्यों बने सिख, जैन, बौद्ध और लिंगायत धर्म! कहा- ‘हिंदू धर्म ने नहीं दिया सम्मान’

Priyank Kharge on Hinduism : कांग्रेस नेता प्रियंक खरगे ने कहा कि भारत में जितने भी धर्म उत्पन्न हुए हैं, वे सभी इस असमानता के विरोध में जन्मे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि धर्म परिवर्तन करना लोगों का अधिकार है।

कर्नाटक के मंत्री प्रियंक खरगे ने सोमवार को कहा कि सिख, जैन, बौद्ध और लिंगायत धर्म सभी भारत में अलग-अलग धर्म के रूप में उभरे हैं, क्योंकि हिंदू धर्म ने समाज के कुछ वर्गों को ‘सम्मानजनक जगह’ नहीं दी। उन्होंने बीजेपी के कुछ नेताओं की ओर से मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की आलोचना किए जाने पर यह प्रतिक्रिया दी।

सीएम सिद्धरमैया ने हिंदू समाज में असमानता और जातिवाद पर टिप्पणी की थी, जिसके जवाब में कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र और विधान परिषद सदस्य सीटी रवि ने आरोप लगाया था कि राज्य सरकार अपने नीतियों के जरिए धर्मांतरण को बढ़ावा दे रही है।

‘हिंदू धर्म में सम्मानजनक स्थान नहीं’

खरगे ने बीजेपी नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा, “मुझे नहीं लगता कि विजयेंद्र और रवि भारत के धर्म के इतिहास से परिचित हैं। सिख धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और लिंगायत धर्म सभी भारत में स्वतंत्र रूप से उभरे हैं। ये सभी धर्म इसलिए विकसित हुए क्योंकि हिंदू धर्म में उनके लिए स्थान नहीं था, उसने उन्हें सम्मानजनक जगह नहीं दी।”

उन्होंने पूछा, “चतुर्वर्ण व्यवस्था क्या है? क्या यह किसी अन्य धर्म में भी है? यह केवल हिंदू धर्म में है। बाबासाहेब अंबेडकर ने कहा था कि हिंदू के रूप में जन्मना मेरी नियति नहीं है, लेकिन मैं हिंदू के रूप में नहीं मरूंगा। क्यों? वर्ण व्यवस्था के कारण।”

खरगे ने कहा, “लोगों को गरिमा नहीं मिलती थी, विभिन्न जातियां व्यवस्था से अलग-थलग महसूस करती थीं। भारत में जितने भी धर्म विकसित हुए हैं, वे सभी इस असमानता के खिलाफ ही पैदा हुए हैं। मुझे नहीं लगता कि इन बीजेपी नेताओं को इसकी समझ है।”

एक सवाल के जवाब में सिद्धरमैया ने शनिवार को मैसूर में कहा था, “कुछ लोग व्यवस्था के कारण धर्म परिवर्तन कर रहे हैं। यदि हिंदू समाज में समानता और समान अवसर होते, तो धर्म परिवर्तन क्यों होता? छुआछूत क्यों बनी रहती है?”

धर्म परिवर्तन का अधिकार

मुसलमानों और ईसाइयों में असमानता के सवाल पर, सिद्धरमैया ने कहा, “जहां भी असमानता है चाहे वह मुसलमानों में हो या ईसाइयों में हमने या बीजेपी ने कभी लोगों से धर्म परिवर्तन करने को नहीं कहा है। लोगों ने अपने स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन किया है। यह उनका अधिकार है।”

खरगे ने बताया कि हाल ही में वीरशैव-लिंगायत समुदाय के एक सम्मेलन में यह फैसला लिया गया था कि आगामी सामाजिक और शैक्षणिक सर्वेक्षण में धर्म के कॉलम में समुदाय के लोग ‘हिंदू’ न होकर ‘वीरशैव-लिंगायत’ लिखेंगे। इस सर्वेक्षण को ‘जाति गणना’ भी कहा जाता है।

मंत्री ने विजयेंद्र से पूछा, “इस पर उनका क्या मत है? क्या वह इसे उचित मानते हैं और फिर हमसे बात कर सकते हैं?” विजयेंद्र बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के पुत्र हैं। वे लिंगायत समुदाय से हैं।

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