सीतापुर : अटरिया में कब्जा, पुलिया जर्जर, सरकारी लकड़ी का बंदरबांट, मिट्टी ढो रहे डम्पर रास्ता खत्म

सिधौली, सीतापुर। सिधौली डिवीजन कार्यालय से चंद कदम की दूरी पर स्थित अटरिया माइनर पर हो रहे अवैध कब्जे और लगातार हो रही अनदेखी से सिंचाई विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

विभाग की निष्क्रियता का खामियाजा आम जनता, खासकर स्कूल जाने वाले छात्रों और राहगीरों को भुगतना पड़ रहा है। माइनर पर बनी एक पुलिया लंबे समय से टूटी पड़ी है, जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।

​अवैध कब्जेदारों पर कार्रवाई नहीं

​स्थानीय लोगों का कहना है कि सिंचाई विभाग के अधिकारी अवैध कब्जों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, विभाग ने दो हफ्ते पहले कब्जाधारियों को नोटिस भेजा था, लेकिन सहायक अभियंता तरुण त्रिवेदी अतिक्रमण हटवाने में नाकाम रहे हैं। विभाग की इस ढिलाई के कारण माइनर के किनारे अवैध कब्जे बढ़ते जा रहे हैं।

​सिंचाई विभाग की एक और बड़ी लापरवाही तब सामने आई जब सिल्ट की नीलामी के दौरान डंपरों है द्वारा माइनर पर बनी पुलिया को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। पुलिया का एक हिस्सा टूटा पड़ा है, जिससे इसे पार करते समय लोगों को भारी परेशानी होती है। खीरी शाखा टेल से निकली इटौंजा रजबहा पुल और पलिया पुल पर लगी पैरा पिट वॉल भी डंपरों की टक्कर से टूट चुकी है। इन टूटी हुई पुलियों के कारण लोगों में हर समय दुर्घटना का डर बना रहता है।

​अधिकारियों की भूमिका पर सवाल

​क्षेत्रीय लोगों का आरोप है कि सिंचाई विभाग के अधिकारी, जिनमें सहायक अभियंता, अवर अभियंता, जिलेदार, और बेलदार शामिल हैं, इस पूरे मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं। उनकी इस निष्क्रियता के कारण समस्या लगातार बढ़ती जा रही है।

​हाल ही में, सीतापुर में तैनात सिंचाई विभाग के अवर अभियंता मनोज कुमार यादव द्वारा बाराबंकी के सिंदूरा ब्लॉक के महोलिया माइनर की सरकारी जमीन से शीशम के पेड़ चोरी से कटवाकर बेचे जाने का मामला सामने आया था। वन विभाग ने उन पर मुकदमा भी दर्ज किया था। इन घटनाओं से अधिकारियों की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। क्षेत्र के लोगों ने प्रशासन से जल्द से जल्द अवैध कब्जे हटाने, क्षतिग्रस्त पुलियों की मरम्मत कराने और लापरवाह अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।

सिल्ट के दौरान गिर रहे सरकारी शीशम के पेड़ हो रहे गायब

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार सिल्ट के दौरान नहर के किनारे कई शीशम के पेड़ जो की वर्षों पुराने थे एक एक गायब हो चुके हैं। इसी क्रम में इटौंजा रजवाहा पर ससेना गांव के निकट एक और पुराना और कीमती शीशम का पेड़ धराशाई हो गया है। जिसे भी कुछ वक्त के बाद गायब कर दिया जाएगा और वन विभाग को भनक भी नहीं लगेगी।

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